पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७०४

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राजावली न सका॥ गई। ५। उस लक्षण के समान जो ईश्वर के उस जन ने परमेश्रर के बचन से दिया था बेदौ फर गई और राख बेदी पर से उंडेली ६। तब राजा ने ईम्बर के उस जन को कहा कि अब अपने ईश्वर परमेम्बर से बिनती करिये और मेरे लिये प्रार्थना करिये कि मेरा हाथ चंगा किया जाय तब ईश्वर के जन ने परमेश्वर के रुख बिनती कई और राजा का हाथ चंगा किया गया और श्रागे को नाई हो गया। ७। तब राजा ने ईमार के उम जन से कहा कि मेरे माथ घर में चल के सुस्ताइये मैं तुझे मतिफल देऊंगा॥ ८। परंतु ईश्वर के जन ने राजा से कहा कि यदि तू अपना आधा घर मुझे देवे तथापि मैं तेरे साथ भीतर न जाजंगा और इस स्थान में न रोटी खाऊंगा न जलपान करूंगा। <। क्योंकि परमेश्वर के वचन से मुझे यों कहा गया कि न रोटी खाइये। न जलपान करियो और जिस मार्ग से होके तु जाता है उसी से फेर मत अाना॥ १० । सेो बुह जिस मार्ग में होके बैतएल में लाया था उस मार्ग से न गया वुह दूसरे मार्ग से चला गया । २१ । उस समय बैतएल में एक बह भविष्यद्वक्ता रहता था और उस के बेटे उस पास आये और उन कार्यों को जो ईश्वर के जन ने उम दिन वैतरेल में किये उसे कह सुनाया और उसकी उन बातों को जो उस ने राजा से कही थी अ.ने पिता के श्राशे वर्णन किया॥ १२। और उन के पिता ने उन से पूछा कि बुह किस मार्ग से गया क्योंकि उस के बटों ने देखा था कि ईश्वर का बुह जन जो यहूदाह से अाया किम मार्ग से फिर गया । १३ । फिर उस ने अपने बटे से कहा कि मेरे लिये गदहे पर काठी बांधा सो उन्हों ने उस के लिये गदहे पर काठौ बांधौ और वह उस पर चढ़ा ॥ १४। और ईश्वर के उस जन के पीछे चला और उसे बलूत वृक्ष तले बैठ पाया नब उस ने उसे कहा कि तू ईश्वर का वुह जन है जो याहदाह से आया बुह बोला हो । १५ । तब उस ने उसे कहा कि मेरे घर चल और रोटी खा ॥ १६ ॥ और बुह बोला मैं तेरे साथ नहीं फिर सना और न नेरे साथ जा सक्ता और न में तेरे साथ इस स्थान में रोटी खाऊंगा न जल पीऊंगा॥ १७॥ कयोकि परमेश्रर के बचन से मुझे यों कहा गया कि वहां न रोटी खाना न जल पीना और जिस मार्ग से तू जाता है उस मार्ग से होके न फिरना ।।