पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७१

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३१ पर्ब ३८ । और की पुस्तक । और उन्हें अपने बेटों के हाथ सौंप दिया ॥ ३६ । और उस ने अपने और यअकब के मध्य में तीन दिन की यात्रा का बीच ठहराया और यअब लाबन के उबरे हुए झडे को चराया किया ॥ ३७ । और यअब ने हरे नुबने लूम और अरमन की हरी छड़ियां ले ले उन्हें गंडेवाल किया ऐसा कि कड़ियों की उजलाई प्रगट हुई॥ ३८। और जय मुंड पानी पीने को आती धौं तब बुह उन छड़ियों को जिन पर मंडे बनाये थे झंडों के आगे कठरों और नानियों में धरता था कि जब वे सब पीने आयें तो गर्भिणी हायें । कड़ियों के आगे मुंउ गर्भिणी हुई और वे गडेवाले और फुटफुटियां और चितकबरे बच्चे जनीं। ४० । और यकूब ने मेम्नों को अलग किया चैत्र झंड के मुंह को चितकबरों के और भूरों के और जो लाबन की भंड में थे किया और उस ने अपने सुड को अलग किया और लाबन के मुंड में न मिलाया ॥ ४१ । और ये हुआ कि जब पुष्ट ढोर गर्भिणी होती थी तो यअकूब इड़ियों को नालियों में उन के आगे रखता था कि वे उन छड़ियों के आगे गर्भिणी हावें ।। जब दुर्वल ढोर अाते थे वुह उन्हें वहां न रखता था से दुर्बल दुर्बल लायन को और मोटी मोटी यअकब की हुई और उस पुरुष की अत्यंत बढ़ती हुई और बुह बहुत पशु और दाम और दासियों और ऊंटों और गदहों का खामी हुआ। ३१ एकतीसवां पर्च। र उम ने लाबन के बेटों को ये बातें कहते सुना कि यअबूब ने हमारे पिता का सब कुछ ले लिया और हमारे पिता की संपत्ति से यह मुब विभव प्राप्त किया ॥ २ ॥ का रूप देखा और क्या देखता है कि कल परसों की नाई वुह मेरी और नहीं है॥ ३। और परमेश्वर ने यअकब से कहा कि अपने पितरां और अपने कुटम्चा के देश को फिर जा और मैं तेरे संग हाऊंगा। ४। तब यऋकूब ने राखिल और लियाह को अपनी झंड पास खेत में बुला ॥ ५। और उन्हें कहा कि मैं देखता है कि ४२। पर और यकब नेलाबन भेजा ॥ ५॥