पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७१५

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८। उठके मरफत खड़ा हूं कई एक बरम लेां न छोस पड़गी न में ह बरसेगा परंतु जब मैं कहंगा॥ २१ और यह कहते हुए परमेश्वर का बचन उस पर उतरा ॥ ३ । कि यहां से चल के पूर्व की ओर जा और करीब को नाली के पाम जा घरदन के भाग है आप को छिपा। ५। और ऐसा हेमा कि तू उस नाली से पौजिया और मैं ने जगली कोचों को आज्ञा किई है कि वे तुझे वहां खिलायें ॥ ५। से। उस ने जाके परमेश्नर के बचन के समान किया और यरदम के प्रागे करौय नाली के पास जा रहा ॥ ६ । और सांझ बिहान जंगली कौबे उस पास रोटी और मामलाया करते थे और बुह उस नाली से पीता था। ७। और कुछ दिन के पीछे ऐसा हुआ कि देश में मेंह न बरसने के कारण से नाली का जल सूख गया। तब परमेश्वर का बचन यह कहके उस पर उतरा ॥ (1 कि उठके सैदानियों के सरफत को चला जा और वहां रह द ख मैं ने तेरे प्रतिपाल के लिये एक रांड़ को प्राज्ञा किई है। १०। सेो चुह को गया और जब वुह नगर के फाटक पर पहुंचा तो क्या दखता है कि एक विधवा वहां लकड़ियां बटोर रही थी और उस ने उसे पुकार के कहा कि कृपा करके मुझे एक घोट पानी किसौ पात्र में लाइये कि पोऊ २१ । और जब वुह लाने चली तो इतने में बुह उसे युकारके वाला कि मैं विनती करता हूं कि अपने हाथ में एक टकड़ा रोटी मेरे लिये लेती आइया ॥ १२। तब उस ने उसे कहा कि परमेश्वर नेरे ईश्वर के जीवन से मेरे पास एक भी फुलका नहीं परंतु केवल मुट्ठी भर पिसान एक मटके में है और पात्र में छोड़ा तेल और देखिये कि में दो लकड़ियां बटोर रही हूं जिसने घर जाके अपने और अपने बेटे के लिय पोऊ और सिद्ध करूं कि हम खायं और मर जायं ॥१३ । तव इलियाह ने उसे कहा कि मत डर जा और अपने कहने के समान कर परंतु पहिले मेरे लिये रस एक लिट्टी बना और मुझ पास ला और पीके अपने और अपने बर के लिय पाओ । १४। क्योंकि परमेश्वर इसराएल का ईश्वर यों कहता है कि परमेश्वर पृथिवी पर जब लो मेंह न बरसावे मटके में का पिसान न घटेगा और पात्र में का तेल न चुकेगा॥ २५ । और उस ने जाके इलियाह के कहने के समान किया और आप और बुह पर उस का घराना बहुत दिन लों