पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७२१

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१६ पर्व की पुस्तक । उम ने दृष्टि किई तो देखा कि उम के मिरहाने एक फुलका कोइला पर का पका हुआ है और एक पात्र जल धरा है तब बुह खा पीके फेर लेट गया। ७। फिर परमेश्वर का दूत दोहराके अाया और उसे छ के कहा कि उठ खा क्योंकि तेरी यात्रा तेरे बल से अधिक है। ८। से उम ने उठके खाया और पीया और उसी भोजन के बन से चालोम दिन रात चल के ईश्वर के पहाड़ हरिब को गया । । और वहां एक खाह में टिका और देखा कि परमेश्वर का वचन उम पास आया और उम ने उसे कहा कि हे इलियाह तू यहां क्या करता है। १० । बुहोना कि में सेना के ईश्वर परमेश्वर के लिये प्रति ज्वलित हुया क्योंकि इसराएल के मनानों ने तेरी बाचा को त्यागा और तेरी बंदिया को ढा के तेरे भविष्यहनों को तलवार से घात किया है और मैं ही केवन में ही बचा और वे मेरे प्राण को भी लेने चाहते हैं। ११ । और उम ने कहा कि बाहर निकल और पहाड़ पर परमेश्वर के आगे खड़ा हो और देख वहां परमेश्वर जा निकलता है और परमेश्वर के आगे एक बड़ी और प्रचंड पबन पर्वत को तड़काती है और चटानों को टुकड़ा टुकड़ा करती है परंतु परमेश्वर पवन में नहीं और पवन के पीके भुइंडोन आया और परमेश्वर भइडोल में नहीं । भुइंडोल के पीछे एक भाग परंतु परमेश्वर आग में नहीं और आग के पौशे एक किंचित शब्द । १३ । और एसा हुअा कि इलियाह ने सुना तो उम ने अपना मुंह अपने शोढ़ने से ढांप लिया और बाहर निकल के कन्द ना कौ पैठ पर खड़ा हुश्रा और दखा कि यह कह के उस पास एक शब्द आया कि इलियाह तू यहाँ क्या करता है २४। वुह बोला कि मुझे परमेश्वर सेनाओं के ईअर के लिये बड़ा ज्वलन हुआ है इस कारण कि इस रागन के संतानो ने तेरो बाचा को त्यागा और तेरी बेदिया ढाई और तेरे भविष्यद्वक्ता को तलवार से घात किया और एक मैं हौं अकेला जीता बचा से वे मेरे भी प्राण को लेने चाहते हैं । १५ । तब परमेश्वर ने उसे कहा कि दमिशक के अरण्य की और फिर जा और पहुंचते ही अराम पर हजाएल को राज्याभिषक कर ॥ १६ । और निमशो के बेट याह को इसराएल पर राज्याभिषेक कर और अपीलमहनः सफ़त के १२। और