पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७२४

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राजावली (२. पर्व नगर बचा॥ तरुण पहिले निकले और बिनहदद ने भेजा और वे कहके उसे बोले कि ममरून से लोग निकल आये हैं ॥ १८। बुह बोला कि यदि वे मिलाप के लिये निकले हैं तो उन्हें जीता पकड़ा अथवा यदि युद के लिये निकले हैं तो उन्हें जीता पकड़ा। १८ । नब देशों के अध्यक्षा के तरुण लोग से निकले और सेना उन के पीछे पीछे। २०! और उन में से हर एक ने एक एक को घात किया और अरामी भागे और दूसराएलियों ने उन्हें खेदा और अराम का राजा विनहद घोड़े पर घोडचढ़ों के साथ भाग के २१ । और दूसरायल के राजा ने मिकल के घाड़ों और रया को मार लिया और अरामियों को बना के मारा॥ २२ । नव उस भविष्यदना ने दूसरापल के राजा पाम आके उसे कहा कि त फिर जा और आप को दृढ़ कर और चीन्ह रख जो किया चाहता है सो देख क्या कि अराम का राजा पीके तेरे बिरोध में चढ़ आयेगा ॥ २३ । नब अराम के राजा के सेवकों ने उसे कहा कि उन के देव पहाड़ों के देव हैं इमलिये वे हम से बन्न बान् हुए परन्तु बानो हम चौगान में उन से युद्ध करें तो निमय हम उन पर प्रवल होंगे। २४ । और तू एक काम कर कि हर एक राजा को उस के स्थान से अलग कर और उन को सन्तौ सेनापतिन को खड़ा कर॥ २५ । और अपनी जूझो हुई सेना कौ नाई एक सेना गिन ले घोड़े की मन्नौ घोड़ा और रथ को मन्तौ रथ और हम चौगान में उन से संग्राम करेंगे और निश्चय उन पर प्रबल होगे सो उस ने उन का कहा माना और वैसा ही किया ॥ २६ । और ज्याही बरम बीता त्याही विनहद ने अरामियां को गिना चार इसराएलिया से करने को अफीकः को चढ़ा ॥ २७। और इसराएल के सन्नान गिने हुए और सब एकटे थे से उन का साम्ना किया और दूसराएल के सन्तान ने उन के आगे ऐसा डेरा किया जैमा मेम्ना का दो मुंड हा परन्तु अरामियों से देश भर गया। २८। उस समय ईश्वर का एक जन दूसराएल के राजा पास आया और उसे कहा कि परमेश्वर यां कहता है इस कारण कि अरामियों ने कहा है कि परमेश्वर पहाड़ों का ईश्वर परन्तु तराई का ईश्वर नहीं इस लिये मैं इस बड़ी मंडली को तेरे हाथ में सोचूंगा और तुम आनागे