पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७२५

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३० पन] की १ पन्तक । कि में परमेश्वर हूं ॥ २६ । सेो उन्हों ने एक दूसरे के सन्मुख सात दिन लेां कावनी किई और सात दिन ऐसा हुआ कि संग्राम हुआ और इमराएल के सन्तान ने दिन भर में अरामियों के एक लाख पगडून मारे ॥ ३० । परन्तु उबरे हुए अफीकः के नगर में पैठे और वहां एक भीत सत्ता- ईस सहस बचे हुए पर गिर पड़ी और बिनहट्द भाग के नगर में आया और भीतर की कोठरी में घमा॥ ३१ । और उस के सेवकों ने उसे कहा कि देखिये हम ने मुना है कि इस राशन के घरानों के राजा बड़े दयाल राजा है से हमें आज्ञा दौजिये कि अपनी कटि पर राट लपेटें और अपने सिरों पर रस्सियां धरे और दूसराएल के राजा पास जायें कदाचित वुह तेरा प्राण बचावे ॥ ३२। से। उन्हों ने कटि पर टाट और सिर पर रस्मियां बांधी और दूसराएल के राजा पास आके बोले कि तेरा सेवक बिन हद यों कहना है कि मैं तेरी बिनती करता हूं कि मुझे जोता छोड़िये वुह बोला कि वह अवलो जोता है बुह मेरा भाई है। ३३ । और वे चौकमी से सोच रहे थे कि चुह क्या कहता है और भट रम् बान को पकड़के कहा कि हां तेरा भाई बिनहद तब उस ने कहा कि जाओ उसे ले आओ तब बिन हदद उस पास निकल आया और उम ने उसे रथ पर उठा लिया। ३४ ॥ और उम ने उसे कहा कि जा जो नगर मेरे पिता ने मेरे पिता से ले लिया मैं फेर देऊंगा और जिस रोति से मेरे पिता ने समरून में सड़के बनाई तू दमिश्क में बना तब अखिअब बाला कि मैं तो इसो बाचा से बिदा काँगा हो उस ने उसे बाचा बांधी और बिदा किया॥ ३५ । और भविष्यद्वक्ता के सन्तानों में से एक जन ने परमेश्वर के बचन से अपने परोमी को कहा कि मैं तेरी बिनती करता हु कि मुझे मार डान्न परन्तु उम जन ने उसे मारने से नाह किया । ३६ । तब उस ने उसे कहा इस कारण कि तू ने परमेश्वर की आज्ञा न मानौ देख ज्याही तू मुझ पास से विदा होगा व्या ही एक मिह तुझ मार लेगा और ज्यांहों बुह उस के पास से यिदा हुआ याही उसे एक सिंह ने पाया और उसे फाड़ डाला॥ ३७। तब उस ने एक दूसरे को बुला के कहा कि मैं तेरी बिनती करता हूं मुझे मार डाल उस ने उसे मारा और मार के वायल किया। ३८। तब बुह भविष्यद्वक्ता चला गया और