पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७२७

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२१ पन्चे ह। और A की १ पुसक। कि रोटी नहीं खाता॥ ६। तब उस ने उसे कहा इस कारण कि मैं ने यजरअली नबात से कहा था कि अपनी दाख की बारी मेरे हाथ बंच और नहीं तो यदि तेरा मन होवे तो मैं तुझे उस की सन्तो दाख की बारौं देगा उस ने उत्तर दिया कि मैं तुझे अपनी दाख की बारी न दजंगा। ७॥ सब उस की पत्नी ईज बिल ने उसे कहा कि क्यान इसराएलिया पर राज्य करता है उठिय रोटी खाइयं और मन को मगन करिय में तुझे अजरअरोली नबात की हाख की बारी दें ऊंगी॥८। तब उस ने अखि अब के नाम से पत्रियां लिखों और उस को छाप से छाप करके नबात के नगर के वासियों के अध्यक्ष और प्राचीनों के पास भजी ।। उस ने पत्रियों में यह बात लिखी कि ब्रत को प्रचारो और लोगां पर नवात को बैठाया ॥ १० । और दुष्टों के पत्रों में से दो जन ठहरा कि यह कहके उस पर साक्षी देव कि त ने ईश्वर की और राजा की अपनिन्दा किई लव उसे बाहर ले जाके पथरबाह करो कि मर जाय ॥ ११। और उस नगर के लोगों ने अर्थात् प्राचीन और अध्यक्षों ने जो नगर के बामौ थे जबिल के कहने के समान जैसा पत्रियां में जो उम ने सन पास भेजी थी लिखा था किया। १२। उन्हें ने ब्रत का प्रचारा और लोगों पर नवात को बैठाया ॥ १३॥ तव दुष्टों के पत्रों में से दो जन भीतर आये और उस के आगे बैठे चार दुष्ट जनों ने नबात के बिरोध में यह कहके लोगों के सांहीं साक्षो दिई कि नवान ने ईश्वर की और राजा की अनिन्दा किई है तब वे उसे नगर से बाहर ले गय और उस पर ऐसा पथरवाह किया कि बुह मर गया । १४ । तब उन्हों ने ईविल को कहला भेजा कि नबात पथरबाह किया गया और मर गया । १५ । और ऐसा हुआ कि जब ईजबिल ने सुना कि नबात पथरवाह किया गया और मर गया तो ईविल ने अखि अब को कहा कि ठिय और यजरअऐली नबात की बारी को वश में करिय जिसे उस ने रोकड़ को सन्ती तुझे देने को नाह किया क्योंकि नबात जोता नहीं है परनु मर गया ॥ १६ । और या हुआ कि जब अखिअब ने सुना कि नबात मर गया तो अखिअव उठा कि यजरअएलो नबात को दाख को बारी में उतरे जिसने उसे वश में करे। 91 [A. B.S.]