पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७३१

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ने कहा २२ प] को १ पुस्तका ७२५ भविष्यद्वक्त्रों के मुंह में मिथ्या प्रात्मा को डाला है और परमेश्वर हो ने तेरे विषय में बुरा कहा है। २४ । परन्तु कनान का बेटा सहकयाह पाम आया और मौकायाह के गाल पर थपेड़ा मार के बोला कि परमेश्वर का आत्मा मुझ से निकल के किचर से तो कहने गया । २५ । तब मौकायाह बोला कि देख तू उस दिन जब सू श्राप को छिपाने को एक कोठरी से टूमरी कोठरी में घुमता फिरेगा तब देखेगा। २६ । नबइमराएन के राजा कि मौकायाह को लेगा और नगर के अध्यक्ष अम्मन औरर राजपत्र यू अास के पाम फिर ले जाओ ॥ २७। और कहो कि राजा की आज्ञा है कि इसे बंधन में रक्खा और जब लो में कुशल से न आऊं तब लो उसे कष्ट की रोटी और कष्ट का जन्म दिया करो। २८। तब मौकायाह बोला यदि तू किसी रीति से कुशल से फिर वे तो परमेश्वर ने मेरे द्वारा से नहीं कहा फिर वुह बोला हे लोगो तुम में से हर एक जम सुन रकले। २६ । तब दूसराएल का राजा और यहूदाह का राजा यहूमफत रामान जिलिद पर चढ़ गये। ३०। और इसराएल के राजा ने यहूमत से कहा कि मैं संग्राम में अपना भेष पलट के प्रवेश करूंगा परन्तु तू अपना राज वस्त्र पहिनियो से इमराएल के राजा ने अपना भेष पलट के युद्ध में प्रवेश किया। ३१। परन्त अरामौ के राजा ने अपने रथों के बत्तीस प्रधानों को कहके आज्ञा किई कि छोटे बड़े किमी से मत लडियो परंतु केवल इमरायन के राजा के संग॥ ३२। और एसा हुअा कि रथों के प्रधानों ने बहूसफल को देख के यों कहा कि निश्शय दूसराएल का राजा यही है और उन्होंने एक ओर होके चाहा कि उससे युद्ध करें तब यहूमत चिल्लाया ॥ ३३। और जब रथ के प्रधानों ने जाना कि यह इसराएल का राजा नहीं तो वे उस के खेदने से हट आये॥ ३४ । और अकसात एक जन ने बाण चलाया और बुह संयोग से इसराएल के राजा को भिन्नम के जोड़ में लगा तब उस ने अपने सारथी से कहा कि बाग फेर और सेना में से मुझे निकाल ले जा क्योंकि मैं घायल हुआ। परंतु उम दिन संग्राम बढ़ गया और राजा अरामियों के मन्मख रथ पर