पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७३५

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तब प्राग ११। फिर १ प] राजावली को २ पुस्तक । उन से पूछा कि उस जन की रीति जो उन्हें मिला और जिम ने तुम्हें ये बातें कहीं कैसो थी।८। और उन्हों ने उत्तर दिया कि वह रोत्रार जन था और चमड़े के पटु के से उस की करिहांच कमी हुई थी तब उस ने कहा कि बुह तिशबी दूलियाह है। । तब राजा ने पचास के प्रधान को उम के पचास जन समेत उम पाम भेजा और बुह उस पाम चह गया और देखा कि वुह एक पहाड़ की चोटी पर बैठा था उस ने उसे कहा कि हे ईश्वर के जन राजा ने कहा है कि उतर आ॥ १.। तब इलियाह ने उस पचास के प्रधान को उत्तर देके कहा कि यदि मैं ईश्वर का जन है तो खर्ग से आग उतरे और तुझे और तेरे पचास जन को भस्म खर्ग से उतरी और उसे और उस के पचास को भसा किया । उस ने दूसरी बेर और एक पचास के प्रधान को उम के पचास समेत भेजा उस ने भी जाके कहा कि हे ईश्वर के जन जा ने कहा है कि शोघ उतर अर॥ १२। तब इलियाह ने उन्हें उत्तर देके कहा कि यदि मैं ईश्वर का जन हं नो वर्ग से भाग उतरे और तुझे और तेरे पचास को भस्म करे और ईम्पर की आग वर्ग से उतरौ और उसे और उस के पचास को भस्म किया। १३। फिर उस ने तीसरी बेर और एक पचाम के प्रधान को उम के पचास समेत भेजा और दीमरा पचाम का प्रधान चढ़ गया और आके इलियाह के आगे घुटने टे के और विनती करके बोला कि हे ईश्वर के जन मैं तेरी बिनती करता हूं कि मेरा प्राण और तेरे इन पचाम दास के प्राण तेरी दृष्टि बहुमूल्य होवें ॥ १४ । देखिये कि हर्गीय अग्नि ने दो पचास के प्रधानों को उन के पश्चास पचास ममेत सम्म किया इस कारण मेरा माण तेरी दृष्टि में बहु मूल्य होवे ॥ १५ । तब परमेश्वर के दूत ने दूलियाह को कहा कि उस के साथ उतर जा उस्से मत डर नब बुह उठा और उतर के उम के साथ राजा पास गया ॥ १६ । पौर रस ने उसे कहा कि परमेश्वर यां कहता है जैमा कि तू ने दूतों को भेजा है कि अक- रून के देव बअलजयूय से जाके पर यह इस कारण नहीं कि दूसराएल में कोई ईश्वर नहीं कि उस के बचन से चूमना इस लिये जिस बिहोने पर न चन्द्रा है उसा न उतरेगा परन्तु निश्चय मर जायगा ॥ १७। सो पर- मेश्वर के बचन के ममान जा लियाह ने कहा था वह भर गया और [A.B.S.) 92