पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७४७

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६ प कौ२ पुस्तक। ७४९ उन्हों ने यरदन पर आके लकड़ियां काौं ॥ ५। परंतु ज्यों एक जन बला काटता था कुल्हाड़ा पानी में गिर पड़ा तब उम ने चिल्ला के कहा कि हे खामी यह तो मंगनी का था। ६। और ईश्वर का जन बोला कि कहां गिरा उस ने उसे बुह स्थान बताया तब उस ने टहनी काट के उधर डाल दिई और कुल्हाड़ा उतरा उठा। ७। तब उस ने कहा कि उठा ले और उम ने हाथ बढ़ा के उठा लिया। ८। नव अराम का राजा दूसराएल से लड़ा और उस ने अपने सेवकों से परामर्श करके कहा कि मैं उस स्थान में डेरा करूंगा। तब ईश्वर के जन ने दूसराएल के राजा को कहता भेजा कि चौकस हो और अमुक स्थान से मत जाइयो क्योंकि वहां अरामौ उतर आये हैं। १.। और इमराएल के राजा ने उस स्थान में भेजा जिस के विषय में ईश्वर के जन ने उसे कहके चौकम किया था और आप को बारंवार बचा रक्खा। ११। इस लिये इस बात के कारण अराम के राजा का मन अति ब्याकुल हुआ और उस ने अपने सेवकों को बुला के कहा मुझ न बताओगे कि हममें से इसराएल के राजा की और कौन है॥ १२॥ ब उस के एक सेवक ने कहा कि हे मेरे प्रभु राजा नहीं परंतु इलीमा भविष्यद्वक्ता जो दूसराएल में है तेरौ हर एक बात जो स्थान में करता है इमराएल के राजा को कहना है ॥ १३ ॥ उस ने कहा कि जा और भेद ले कि वुह कहां है जिसने में भेज के उसे बुलाक उसे यह कहके संदेश पहुंचाया कि देखिये कुछ दूतान में है। १४। इस लिये उस ने उधर घोड़े और रथ और भारी सेना भेजी और उन्हों ने रात को आ कर उस नगर को घेर लिया। १५ । और जब ईश्वर के जन का सेवक तड़के उठा और बाहर निकला तो क्या देखता है कि सेना और धोन चढ़े और रथ नगर को घेरे हुए हैं तब उस के सेवक ने उसे कहा कि हाय हे मेरे खामी हम क्या करें। १६ । उस ने उत्तर दिया कि मत डर क्योंकि जो हमारे साथ हैं से। उन के साथियों से १७। तब दूलीमात्र ने प्रार्थना किई और कहा कि हे परमेम्वर कृपा करके इम की आंखें खोल जिसने देख सो परमेश्वर ने उस तरुण की आंखें खोलौं और उस ने जो दृष्टि किई तो देखा कि इलो अपने शयन