पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७५०

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७४४ राजावली [७ पब की छावनी के बाहर हो बाहर पहुंचे तो देखो वहां कोई न था। क्योंकि परमेश्वर ने रथो का और घोडों का और एक बड़ी सेना का शब्द अरामियों को सेना को सुनाया तब उन्हों ने आपस में कहा कि देखो इसराएल का राजा हित्तियों के राजाओं को और मिस्त्रियों के राजाओं को हमारे बिरुड़ भाड़े में चढ़ा लाया। ७। इस लिये वे उठ के गोधूली में भाग निकले और अपने डेरे और अपने घोड़े और अपने गदहे अर्थात अपनी छावनी को जैसो को तैसी छोड़ छोड़ अपने अपने प्राण ले भागे। ८। और जब कि कोढ़ी छावनी में पहुंचे तो वे एक तंबू में घुसे और वहां खाया और पीया और वहां से रूपा और सोना और बस्त्र लिया और एक स्थान पर जाके छिपा रकवा और फिर आके दूसरे तंब में घुसे और वहां से भी ले गये और छिपा रकवा ॥ ८। फिर उन्हों ने आपस में कहा कि हम अच्छा नहीं करते श्राज मंगल समाचार का दिन है और हम चुप हो रहे हैं यदि हम बिहान की ज्योति लो ठहर तो दंड पावेंग से प्राओ हम जाके राजा के घराने को सन्दश पहुंचायें। १० । तब उन्होंने आके नगर के द्वारपाल को पुकारा और यह कहा कि हम अरामियों की छावनी में गये और देखा कि वहां न मनुय्य न मनुष्य का शब्द परन्तु घोड़े और गदहे बंधे हुए और तंब जैसे के तैसे हैं। ११ । और उस ने द्वार- पान को को कहा और उन्हों ने राजा के भवन में भीतर संदेश पहुंचाया । १२ । और राजा रात ही को उठा और अपने सेवकों से कहा कि मैं तुम्हें बताता है कि अरामियों ने हम से क्या किया वे जानते हैं कि हम भूखे हैं इम लिये ये वाधनी से निकल के चरगान में यह कहके छिपे हैं कि जब वे नगर से निकलेंगे तब हम उन्हें जीता पकड़ लेंगे और नगर में घुसेंगे । १३ । और उस के सेवकों में से एक ने उत्तर देके कहा कि हम उन घोड़ा में से जो बचे हैं पांच घोड़ लेवे देख वे दूसराएल की बची हुई मंडली के समान [जा नष्ट हुए हैं] आये। उन्हें भने और बूझ ॥ १४। सेो उन्हों ने रथों के दो घोड़े लिये और राजा ने अरामियां को सेना के पीछे लोगों को यह कहके भेजा कि जाओ और बूझो। १५ । वे उन के पीछे मौके यरदन लो चले गये और क्या देखते हैं कि सारे मार्ग में बस्त्र और पाब जेश्ररामी अपनी उतावलौ में फेंक गये थे भरपूर थे तब दूत फिर