७५० राजावली [पने २४। तब मारा सूटस था। यूराम और यहूदाह का राजा अखजयाह अपने अपने रथ पर बाहर गये और चे याहू के विरोध में बाहर गये और उसे यजरअऐलौ नबात के भाग में पाया। २२ । तब राम ने याहू को देख के कहा कि बाहू कुशन याह बोला कैसा कुशल कि जब तेरौ माता ई जबिल का किताला और उस के टोने इतने हैं ॥ २३ । 'तब यूराम अपने हाथ फेर के भागा और अखजयाह से कहा कि हे अखजयाह कूल है। याहू ने अपना हाथ धनघ से भरा और यहूराम की भुजाओं के मध्य में और बाण उस के हृदय में पैठ गया और बुह अपने रथ में झुक गया। २५ । तब उस ने अपने प्रधान बिदकर से कहा कि उसे उठा के यजरअऐली नबान के खेत के भाग में डाल दे क्योंकि चत कर कि जब मैं और के बाप अखि अब के पौछ चढ़े जाते थ परमेश्वर ने यह बाम उस पर धरा २६ । परमेश्वर कहता है कि निश्चय मैं ने नब त के लोह और उस के बटेर के लोहू को कन्न देखा है और परमेश्वर कहता है कि मैं तुझ से इसी भाग में पलटा लेजंगर सा परमेश्वर के बचन के समान उसे लेक उसी स्थान में डाल दे ॥ २७ । परन्तु जब यहूदाह के राजा अखजयाह ने यह देखा तो वह घर की बारी के मार्ग से निकल भागा और याइ ने उम का पीछा किया और कहा कि उसे भी रथ में मार लेटा से। उन्हों ने जूर के मार्ग में जा इवस्लिाम के लग है उसे मारा और बुह भाग के मजिद्दा में आया और वहा मर गया ॥ २८। और उस के सेवक उसे रथ में डाल के यरूसलम को ले गये और उसे उम की समाधि में दाऊद के नगर में उस के पितरों के साथ गाड़ा ॥ २६ । और अखिअब केटे यूराम के ग्यारहवे बरस अखजयाह यहदाह पर राज्य करने लगा। यजर अऐल को प्राया तो ईजबिल ने सुना और अपनी प्रांखां में अंजन लगाया और अपना मस्तक सवांरा और एक झरोखे से भाकने लगी। ३१ । और ज्यों हौं याहू ने फाटक में से प्रवेश किया और त्रुह बोली कि क्या जिमरी को कुशल मिला जिस ने अपने प्रभु का बधन किया ॥ ३२ । नब याहू ने झरोखे की और मस्तक उठाया और कहा कि मेरी ओर कौन कोन है और उस की ओर दा तीन शयन स्थान के प्रधानो ने देखा ! ३३। तब उस ने कहा कि उसे गिरा दो सा उन्हां ने उसे नीचे गिरा और जब याहू