पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७६२

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१७) और २६। फिर राजाबली [१२ पम् तब उन्हों ने उस पर हाथ चनाये और बुह उस मार्ग में जिस मार्ग से घोड़े राजा के भवन में आते थे जाती थी और वहां मारी गई। यहयदः ने परमेश्वर के और राजा के और लोगों के मध्य में एक बाचा बांधौ कि वे परमेश्वर के लोग होवें और राजा और लोगों के मध्य में बाचा बांधी ॥ १८ । नब देश के सारे लोग बअल के मन्दिर में आये और उसे दाया और उन्हों ने उस की मां और उभ की बेटियां को चकनाचूर किया और बयल के याजक मन्नान का बेदियों के सन्मुख घात किया और याजक ने परमेश्वर के मन्दिर के लिये पदों को ठहराया। उम ने शतपतियों को और प्रधानों को और पहरुओं को और देश के सारे लोगों को ले के वे राजा को परमेश्वर के मन्दिर से उतार के पहरुओं के फाटक के मार्ग से राज भवन में लाये और बुह राजाओं के सिंहासन पर बैठा। २.। और देश के सारे लोग आनंदित हुए और नगर में चैन हुआ और उन्हों ने अतलीयाह को राज भवन के लग खड्न से घान किया। २१। और जब यूास राजा सिंहासन पर बैठा तव बुह मात बरम का था। १२ बारहवां पई। -र याहू के मातवें बरम यूाम राज्य करने लगा और उस ने यरू- सन्नम में चालीस बरस राज्य किया उस को माता का नाम विपर. सबः को जिबयः था । २। जब लो यस्यदः याजक यूवास को उपदेश करता रहा उन के जीवन भर उस ने परमेश्वर की दृष्टि में भलाई किई॥ ३ । परंतु ऊंच स्थान दूर न किये गये थे और लेग अब लो ऊंचे स्थानों पर बलिदान चढ़ाते थे और सुगंध जलाते थे । ४। और यूत्रास ने याजकों से कहा कि पवित्रता के सारे रोकड़ जो परमेश्वर के मंदिर में पहुंचाये जाने हैं अर्थात् वह विशेष रोकड़ जो प्राण का मोल ठहरता है और समस्त रोकड़ जो हर एक अपनी इच्छा से परमेश्वर के मंदिर में ५ । सेो याजक हर एक अपने अपने जान पहिचान से लेवे और घर के दरारों को जहां कहौं दरार पाये जायें सुधारें। ६ । परंतु मेसा हुआ कि यू आम के राज्य के तेईसवें घरस लो याजकों ने मंदिर और लाता है।