पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७६७

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की २ पुस्तका लुबनान २४ पवै] ७६१ ५। और यो हुआ कि ज्यों राज्य उस के हाथ में स्थिर हुअा व्या उस ने अपने सेवकों को मार डाला जिन्हों ने उसके पिता राजा के मार डाना था। ६ । परतु घातकों के सन्तानों को घात न किया जैसा कि ममा को व्यवस्था की पस्तक में लिखा है जिस में परमेश्वर ने यह कहके अाज्ञा किई यौ कि चान्नकों के कारण पिना मारे न जाय और न पितरों के कारण बानक परंतु हर एक जन अपने ही पाप के कारण मारा जायगा। ७। और उम ने नन की तराई में दम सहस अदूनी को घात किया और मिला को लड़ाई में ले लिया और उसका नाम आज लां यु कतिएल रक्खा ॥ ८। तब अमसियाह ने याहू राजा के बेटे यह अखज के बेटे यहूयस पास यह कहके दूत भेजा कि प्रा एक दूसरे के मह परस्पर देखे ॥ । सेो दूसराए न के राजा यहअम यहूदाह के राजा अमसियाह को कहला भेजा कि स्नु बनान को भटकटैया ने के अाजे वृक्ष से कहला भेजा कि अपनी बेटी मेरे बेटे से ब्याह दे पर लुबनान के एक बनैले पशु ने उधर से जाने जाते उस भटकट या को लताड़ा ॥ १० । निश्चय तू ने अटूम को मारा है और तेरे मन मे तुझ उभारा है बड़ाई कर और घर में रह जा अपनी घरतो के लिये क्या छेड़ कि तू अथात यहूदाह समेत धूस्त होघे ॥ १५ । परंतु अममियाहू ने उस कौ न सुनौ इस लिये इसराएन का राजा यहूम चढ़ गया उम ने और यहूदाह के राजा अमसियाह ने बैतशमश में जो यइदाह का है परस्पर मन दखा ॥ सो यहूदाह का राजा इसराएल के आगे धुस्त डा और उन में से हर एक अपने अपने तंबू का भागा॥ १३। और इमराएल के राजा यम मे अखजयाह के बेटे यहअस के बेटे यहूदाह के राजा अममियाह को बैनशमश में पकड़ लिया और यरूसलम में आया और यरूसलम की भौत इफरायम के फाटक से ले के करने के फाटक ले। चार सौ हाथ ढ़ा दिई ।। १.४। और उस ने मारा सेना और चादी और सारे पात्र जो परमेश्वर के मंदिर में और राजा के भंडारों में पाब ले लिये और बोले ले के समरून को फिर गये ॥ ५५ । ब यहूनम की रही नई क्रिया और उम का पराक्रम कि बुद्द यहूदाह के राजा अममियाह से क्यों कर लड़ा सेो क्या इसराएली राजाओं के सनयों के मनाचार की पुस्तक में लिखा TA B.S. ) 96