पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७७३

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१६ प] को पस्तक। वहां के लोगों को बंधुश्रा करके कीर में नाया और मीन को मार डाला। १०। तब राजा अाखज अमूर के राजा निगन तपितामर से भेंट करने दमिशक को गया गैर दमि शक में एक बेदो दखो और खज राजा ने उस का डौल और दृष्टान्त उम के समस्त कार्यकारी के समान ऊरियाह याजक के पास भेजा ॥ ११ । सेा जरियाह याजक ने उन सभी के समान जो भाखज ने निशक से भेजा था एक बेदी बनाई और श्राखज राजा के दमिशक से आने वाले रियाह याजक ने वेदी को सिद्ध किया। १२। और जब राजा दमिशक से आया तो राजा ने बदी को देखा और राजा येही पास गया और उस पर चढ़ाया ॥ १३ । और उस ने अपनी होम की भेंट और मांस को भेंट चढ़ाई और पौने को भेट उम पर ढाली और अपने कुशल की भेंट का लोह बेदी पर हिड़ का॥ १४ । और उम ने पोतल की उस बेदी को ना परमेम्पर के आगे थौ घर के माम्ने से अश्वात् बेदी के और परमेश्वर के घर के मध्य से लाके बेदी के उत्तर अलंग रक्खा ॥ १.५ । और राजा बाखज ने जरियाह याजक को आज्ञा करके कहा कि बिहान के हेम को भेट चौर मांझ के मांस को भंट और राजा के होम के बनिदान और उस के मांस की भेट और देश के सारे लोगों के होम को भेट समेत और टन के मांस को भेट और उन के पौने की भेंटें जलाब और होम को भेंट के मारे लेह और बलिदान के सारे लोह उस पर छिड़क और पीतल को वेटा मेरे बझने के लिय होगी॥ १६ । यो ऊरियाह याजक ने छाखज़ राजा की आज्ञा के समान सब कुछ किया । २७। और राजा आखज ने आधार के कारों को काट डाला और उन पर के स्नान पात्र को अलग किया और समुद्र को पोतल के बैलो पर से उतार के बिछे हुए पत्थरों पर रकला। १८। और विश्राम की छत को जो उन्हों ने घर में बनाई यो और राजा के पैठ के ब हर बाहर असर के राजा के लिये उस ने परमेश्वर के मंदिर से बाहर किया ॥ १८॥ अब अाख़ज़ की रही हुई क्रिया जो उस ने किई से क्या यहूदाह के राजायों के समयों के समाचार को पुस्तक में लिखी नहीं हैं ॥ २०॥ और बाखज़ ने अपने पितरों में शयन किया और अपने पितरो के मंग दाजद के नगर में गाड़ा गया और उम का बेटा हिजकियाह उम की मन्नौ राज्य पर बैठा।