पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७७६

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७७० राजाबली [९७ पम सारे पापों पर चलते थे और वे उन से अलग न हुए । २३। वहां लो कि परमेश्वर ने इसराएल को अपनी दृष्टि से दूर किया जैसा उस ने अपने मारे दास भविष्यदनों के द्वारा से कहा था से दूसराएल अपने देश से निकाले जाके भाजला असूर में पहुंचाये गये॥ २४। और असूर के राजा ने बाबुल से और कूत से और भैया से और हमात से और सिप्रवाइम से लोगों को लाके ममरून कौ बस्तियों में इसराएल के सन्तान की सन्ती बसाया और वे समरून के अधिकारीहए और उस के नगरों में बसे ॥ २५ । और जब वे प्रारंभ में वहां जा बसे तो परमेश्वर से न डरने थे इसलिये परमेश्रर ने उन में सिंह को भेजा और वे उन्हें फाड़ने लगे। २६ । इस लिये वह कहके वे असर के राजा से बोले कि जिन जातिगणां को त ने उठा लिया है और समरून की बस्तियों में बसाया है इस देश के ईश्वर का व्यवहार नहीं जानते इस लिय उम ने उन में सिंह भेजे और देखो वे इस कारण उन्हें बधन करते हैं कि वे इस देश के ईश्वर का व्यवहार नहीं जानते है। २७। तब असर के राजा ने यह आज्ञा किई कि उन याजकों में से जिन्हें तुम वहां से यहां ले आये हो एक को वहां ले जाया कि बुह जाके वहां रहा करे और उस देश के ईम्वर का व्यवहार उन्हें सिखावे ॥ २८। तब उन याजको में से जिन्हें वे समरून से ले गये थे एक बाया और बैतएल में रहा और उन्हें परमेश्वर का डर सिखाया।२६। परन्त हर एक जाति ने अपने अपने देव बनाये और उन्हें ऊंचे स्थानों के घरों में जो समरूनियां ने बनाये थे रक्खा हर एक जानि अपने अपने रहने के नगरों में ॥ ३० । बाबुन के मनुष्यों ने सकानबिनान बनाया और कूत के मनुय्या ने नेरगन्ज बनाया और हमात के मनुष्यों ने असीमा बनाया। ३२ । और अवियों ने निघहज और तरताक बनाये और सिफारबियों ने अपने बालकों को अदरमालिक और अदरम्सालिक सिफारबियों के देवों के लिये बाग में नला दिया ॥ ३२ । से वे परमेश्वर से डरे और उन्हों ने अपने लिये सब में से ले के ऊंचे स्थानों का याजक बनाया जो उन के लिये ऊंचे स्थानों के घरों में बलिदान चड़ाते थे। ३३ । और वे परमेश्वर से डरते थे और उन जातिगण के ममान जिन्हें वे वहां से ले गये थे अपने ही देवों को सेवा ३० । और