पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७७७

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१८ पद] की २ पुस्तक। करते थे। ३५। आज के दिन लो वे अगनी विधि र व्यवहार पर चलते हैं क्या क वे परमेम्पर से नहीं डरते और उन की विधिन पर चौर व्यवस्था और आज्ञा पर जो परमेश्वर ने यअकब के सन्तान के लिये आज्ञा किई. जिम का नाम उस ने दूसराएल रकबा नहीं चलते॥ ३५ ॥ जिम्मे परमेश्वर ने एक बाचा बांधी और यह कह के उन्हें चिताया कि तुम और देवों से मत डरे और उन के आगे प्रणाम मत करो और उन को सेवा मत करो उन के लिये बस्ति मात चढ़ारो॥ ३६ । परंतु तुम परमेश्वर से जिस ने अपनी बड़ी मामय से और अपनी बढ़ाई हुई भुजा से तुम्हें मिस्र के देश से निकाल लाया डर या तुम उसी की सेवा की जियो और उम के लिये बलि चढ़ाइयो। ३७। और उन व्यवहारों और विधिन और व्यवस्था और श्राज्ञा को जो उम ने तुम्हारे लिये लिखबाये तुम सदा लो मानियो और और देवो से मत डरिया ॥ ३८। और उस बाचा को जा मैं ने तुम से किई है मत भूलिया और चौर देवे से मन डरियो ॥ ३८ । परंतु परमेपर अपने ईश्वर से डरिया और वही तुम्हारे सारे बैरियों के हाथ से तुम्हें कुड़ावेगा॥ ४ . । तथापि उन्हों ने न सुना परंतु अपने अगिले व्यवहारों पर चलते थे॥ ४१ । से इन जानि गणों ने परमेश्वर का भय न रकदा और अपनी खादी हुई मूतों की सेवा किई और उन के लड़के और उन के लड़कों के लड़के भी अपने पितरों के समान आज के दिन लो करते हैं। १८ अठारहवा पर्व। सौत्र के राज्य के तीसरे वरस यहदाह के राजा श्राख का बेटा २ । और जब कि वह राजा हुआ तब पचौम बरम का था उस ने उन्तीम बरस यरूसलम में राज्य किया उस की माता का नाम अबी था जा जकरियाह की बेरी धौ। अपने पिता दाऊद के समान परमेम्बर की दृष्टि में सब बात में भन्नाई किई ॥ ४ । उस ने ऊंचे स्थानों को टा दिया और मूत्रों को तोड़ा और कंजा का कार डाला और सांप को जो ने बनाया था नोड़ के टुकड़ा टुकड़ा किया क्योंकि इमराएल के सन्तान उस समय लों के हूहिजकियाह राजा हुन। ३। उम ने उम पौनल उस