पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७७८

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राजावली [१८ पब्द आगे धूप जलाते थे और उस ने उस का नाम नेहास्थान रक्खा ॥ ५ ॥ और परमेश्वर दूसराएल के ई म्वर पर भरोसा रखता था यहां ले कि उस के पीछे यहदाह के सब राजायों में समा कभी न हुन्ना और न उस्मे आगे कोई हुआ था ॥ ६ ॥ कयोंकि धुरु परमेश्वर से नवलीन रहा और उस के पीछे से अलग न हुआ परंतु उस ने उन आनाओं को जा परमेश्वर ने मूमा से किई थी पालन किया ॥ ७॥ और परमेश्वर उस के साथ था वह जहां कहीं जाना था भाग्यमान होता था और के राजा के विरोध में फिर गया और उस की सेवा न किई। ८। उस ने फिलिस्तियों के अजः लो हार उस के सिवानों के अन्त ले रखवालों के गर्मज से ले के घेरित नगर मारा। । चार हिजकियाह राजा के चौथे वरस जो इसराएल के राजा बाला के बेटे इसी के सातवें बरस था यों हुआ कि असूर के राजा सलमनजर के विरोध पर चढ़ाया और उसे घेर लिया। १.। और तीसरे बरस के अन्त में उन्हें। ने उसे ले लिया और हिजकियाह के छठवें बरम जो इसराएल के राजा इसी का नवां बरस है समरून लिया गया। ११। और असूर का राजा इसराएलियों को असूर को ले गया और उन्हें खलह में और खबूर में जो नाजान को नदी के लम है और मादियां के नगरों में रकक्षा। १२। यह इस लिये हुया की उन्हें। मे परमेश्वर अपने ईश्वर की बात न मानी परन्तु उस की बाचा को और उन सभी को जो परमेश्वर के दास मूसा ने कहा था टाल दिया न उस की सुनते धे न उस पर चलते थे॥ ५३॥ और हिजकियाह राजा के राज्य के चौदहव बरस अम्बर के राजा ने समहेरौब यहूदाह के सारे वाड़ित नगरों पर चढ़ आके उन्हें ले लिया ॥ १४ ॥ तब यहूदाह के राजा हिजकियाह ने असूर के राजा को जो लकीस में था कहला भेजा कि मुझ से अपराध हुआ अब मुझ से फिर जाइये और जो कुछ तू धरेगा मैं उठाऊंगा और उस ने यहूदाह के राजा हिजकियाह पर बौन सौ तोड़ा चांदी और तीस तोड़े सोने ठहराये ॥ १५ । हिजकियाह ने सारी चांदी जो परमेश्वर के मन्दिर में और राजा के वर के भंडारो में पाई गई उसे दिई ॥ १६ । उस समय हिजकियाह ने परमेश्वर के मन्दिर