पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७८०

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राजाबली [१८ पर्न भौत पर के लोगों के कान में न कहिये ॥ २७। परन्नु र बसाको ने उन्हें कहा कि मेरे प्रभ ने मुझे मेरे प्रभ के अथवा तुझ पास ये बातें कहने को भेजा है क्या उस ने मुझे उन लोग पास जो भाति पर बैठे हैं नहीं जा जिसमें वे तुम्हारे साथ अपना ही मल मूत्र खायें पीयें ॥ २८। तब रब्बसाकी खड़ा होके यहूदियों की भाषा में ललकार के दोला और कहा कि अन्र के राजा महाराज का बचन सुनो । २९ । राजा यह कहता है कि हिजकियाह तुम्हें छल न दे वे क्योंकि वह मेरे हाथ से नन्हें छुड़ा नहीं सक्ता ॥ ३० । और हिजकियाह तुम्हें यह कहके परमेश्वर का भरोसा न दिलाये कि परमेश्वर निश्चय हमें छुड़ावेगा और यह नगर असूर के राजा के हाथ में सपा न जायगा । ३१ । हिजकियाह को मत सुनो क्योंकि अमूर का राजा या कहता है कि मुले भेट दके मुझ पास निकल आओ और तुम्म से हर एक अपने अपने नाख में से और अपने अपने गनर पेड़ में से खावे और अपने अपने कुंड का पानी पीये ।। ३२ । जब ले। मैं अाऊं और तुम्हें यहां से एक देश में जो तुम्हारे देश की नाई है ले जाऊं वह अन्न और दाखरम का देश रोटी और दाख की बारी का देश जन्नपाई के तेल और मध का देश है जिसने तुम जो और न मरा और हिजकियाह की मत सनो जब बुह यह कहके तुम्हारा बोध करता है कि परमेश्वर हमें बचावेगा। ३३ । भला जातिगण के देवों में से किसी ने भी अपने देश को अस्र के राजा के हाथ से कुड़ाया है॥ ३४। हमत और अरफाद के देव कहां हैं और सिप्रवाइम हेना और ऐया के देव कहां क्या उन्हों ३५ ने ममरून को मेरे हाथ से कुड़ाया है॥ ३५ । देशों के सारे दवों में वे कौन जिन्हो ने अपने देश मेरे हाथ से कुडाये जो परमेश्वर यरूसलम को मेरे हाथ से छुड़ावे परन्त लोग चपके रहे और उस के उत्तर में एक बात न कही क्योंकि राजा की आज्ञा यों थी कि उसे उत्तर मन दौजियो तब खिलकयाह का बेटा इलव- कौम जो घराने पर था और शबना लेखक और आसफ स्मारक का बेटा यू अख अपने कपड़े फाड़े हुए हिजकिवाह के पास आये और रब्बसाकी की बातें उसो कहीं।