पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७९५

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२५ व १७। और २ पन्तका भंडार जो राजा के घर में थे ले गया और सोने के मारे पात्रों को जो इसराएल के राजा सुलेमान ने परमेश्वर की प्राज्ञा के ममान परमेार के मन्दिर के लिये बनाये थे कटवाया । २४। और सारे यरूमलम को और सारे प्रधानों को और सारे महाबीरो को अर्थात् दम सहस्र बंधुओं को और मारे कार्यकारियों को और लोहारों को और देश के लोगों के छोटो से छोटों को छोड़ कोई न छुटा॥ १५ । वुह यहूयकीन को और उस की माता और राजा की पत्नियों को और उस के नपुंसकांकेर और देश के पराक्रमियों को यरूसलम से बंधुआई में वाबुल को ले गया । और मारे बौरों को अथात् मात सहन को और एक सहस कार्यकारियों को और लोहारों को सब बलबन्न जो संग्राम के योग्य थे बाबल का राजा उन्हें बंधाई में बाबुल को ले गया । बाबुल के राजा ने उस के चचा मननियाह को उस की सन्ती राज्य दिया और उस का नाम पलट के सिदकयाह रक्खा ॥ २८। मिद कयाह जब राज्य पर बैठा तो एबीस बरस का था उस ने म्यारह बरस यरूसलम में राज्य किया और उस की माता का नाम इमूतल था जो लिबनः यरमियाह की बेटी थी॥ १६ । और उस ने यजयकीन के कार्य के समान किया और परमेश्वर की दृष्टि में बराई किई॥ २। क्योंकि परमेश्वर के कोप के कारण यरूसलम और यहूदाह पर यों बीत गया यहां लो कि उस ने उन्हें अपने आगे से दूर किया और सिद कयाह बायुल के राजा के बिरोध में फिर गया। २५ पचौसा पढ़। पर उस के राज्य के न बरस के दसवें मास की दसवी तिथि में यों हुआ कि बावल का राजा नबूखुद नजर और उस की मारी सेना यरूसलम के विरोध चढ़ आये और उस के सन्मुख डेरा किया और उन्हें ने उस के विरोध में उस की चारों योर गढ़ बनाये ॥ २१ और सिदकयाह राजा के ग्यारहवें बरम लानगर बरा हुआ था। ३। और मास की नवौं तिथि में नगर में अकाल बढ़ा और देश के लोगों को रोटी न मिलती थी। और नगर टूट निकला और सारे योद्धा उस फाटक जो ४.