पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/८१

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३५ पर्च की पुस्तक। घाव में पड़े थे यों हुआ कि यक्व के बेटों में से दीनः के दो भाई ममऊन और लाबी हर एक ने अपनी अपनी तलवार लिई और साहस से नगर पर आ पड़े और मारे पुरुषों को मार डाला ॥ २६ । और उन्हों ने हमूर और उस के बेटे सिकम को तन्नधार की धार से मार डाला और मिकम के घर से दीन को लेके निकल गये । २७। और यज कब के बेटे जूझे हुए पर आये और नगर को लट लिया क्योंकि उन्हों ने उन की बहिन को अशुद्ध किया था ॥ २८ । उन्हों ने उन की भेड़ और उन की गाय बैल और उन के गदहे और जो कुछ कि नगर में और खेत में था लट लिया ॥ २६ । और उन के सब धन और उन के मारे बालक और उन की पत्नियां बन्धुआई में लाये और घर में का रूब कुछ लूट लिया ॥ ३० । और यअकब ने समजन और लावी से कहा तुम ने मुझे दुख दिया कि इस भूमि के बासियों में कनानियों और फरिज्जीयों के मध्य में मुझे घिनौना कर दिया और मैं गिनती में थोड़ा हूं और वे मेरे सन्मुख एकट्ट होंगे और मझे मार डालेंगे और मैं और मेरा घराना नष्ट होवेगा॥ ३१ । तब वे वोले क्या उसे उचित था कि हमारी बहिन के साथ वेश्या की नाई व्यवहार करे। ३५ पैंतीसवां पर्च पर ईश्वर ने यअकब से कहा कि उठ बैतएल को जा और वहीं रह और उस ईश्वर के लिये जिसने तुझे दर्शन दिया था जब तू अपने भाई एमो के आगे से भागा था एक बेदी बना ॥ २ । नव यअव ने अपने घराने से और अपने सब संगियों से कहा कि उपरी देवों को जो तुम में हैं दूर करो और करो और शुद्र हाओ और अपने कपड़े बदलो॥ ३। और आग्रा हम उठे और बैतएल को जाये और मैं वहां उस ईश्वर के लिये बेदी बनाऊंगा जिम ने मेरी सकेती के दिन मुझे उत्तर दिया और जिस मार्ग में मैं चला बुह मेरे साथ साथ था ॥ ४। और उन्हों ने सारे उपरी देव को जो उन के हाथों में थे और कुंडन जो उन के कानों में थे यअकव को दिये और यअकब ने उन्हें बलून पेड़ तले सिकम के लग गाड़ दिया ॥ ५। और उन्हों ने कूच किया जी