पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/८२

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[३५ पद उत्पनि और उन के आस पास के नगरों पर ईश्वर को डर पड़ी और उन्हों ने याकूब के बेटे का पीछा न किया ॥ ६ । सो यश्रयाव और जितने लोग उम के साथ थे कनान की भूमि में लाज को जा बैतएल है आये ॥ ७ और उस ने वहां एक वेदी वनाई और इस लिये कि जब वुह अपने भाई के पास से भागा तो वहां उसे ईश्वर दिखाई दिया उस ने उस का नाम बैतएल का ईबर रक्खा ॥ । बार रिवका की दाई दबूरः मर गई और बैतएल के लग बलन पेड़ तले गाड़ी गई और उस का नाम रोने का वल्त रक्सा ॥ ६ । और जब कि यअकब फहानगराम से निकला ईश्वर ने उसे फेर दर्शन दिया और उसे आशीष दिया। १.। और ईश्वर ने उसे कहा कि तेरा नान यअकब है तेरा नाम आगे को यअकब न होगा परन्तु तेरा नाम इनराएल होगा सेो उस ने उस का नाम इसराएल रक्वा ॥ ११ । फिर ईश्वर ने उसे कहा कि मैं ईअर सर्वसामर्थी हूं तू फलमान हो और बढ़ तुझ से एक जाति और जातिन की जाति और तेरी कटि से राजा निकलेंगे। १२। और यह भमि जो में ने अबिरहाम और इजहाक को दिई है तुझे और तेरे पीछे तेरे वंश को देऊंगा॥ १३॥ और ईश्वर उस स्थान से जहां उस ने उस बातें किई थी उस पास से उठ गया ॥ १४ । और यअकूब ने उस स्थान में जहां उस ने उसी बातें किई पत्थर का एक खंभा खड़ा किया और उस पर पनि की भेंट चढ़ाई और उस पर तेल डाला॥ १५ । और यकूब ने उस स्थान का नाम जहाँ ईश्वर उसे वाला था बैतएल रकबा ॥ १६ । और उन्हों ने वैतएल से कूच किया और वहां से इफरातः बहुत दूर न था और राखिल को पीर लगी और उस पर बड़ी पीड़ा हुई ॥ १७॥ और उस पीड़ा की दशा में जनाई दाई ने उसे कहा कि मत डर अब की भी तेरे बेटा हे।गा ॥ १.८ । और यों हुया कि जब उस का प्राण जाने पर था क्योंकि बुह मर ही गई तो उस ने उम का नाम अप ने उदास का पुत्र रकबा पर उस के पिता ने उस का नाम बिनय मौन रक्खा ॥ १। सो राखिन मर गई और इफरातः के मार्ग में जो बैतलहम है गाड़ी गई ॥ २० । और यश कब ने उस के ममाधि पर एक खंभा खड़ा किया वही खंभा राखिल के समाधि का खंभा आज लो है॥ २१ । फिर इसराएल