पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/८६

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उत्पनि [३७ पर्च और G ३७ मैंतीसा पढ़ । पर यअकब ने कनान देश में अपने पिता के टिकने की भमि में बास किया। २। यअकूब को बंशावली यह है यूसुफ सत्रह बरस का होके अपने भाइयों के माथ मुंड चराता था और वह तरुण अपने पिना की पत्नी बिलहः और जिलफः के बेटों के संग था और यूसुफ ने उन के पिता के पास उन के बुरे कामों का संदेश पहुंचाया ॥ ३ । अब इसराएल यमुफ को अपने सारे लड़कों से अधिक प्यार करता था दूस लिये कि वुह उस के बुढ़ापे का बेटा था और उस ने उम के लिये रंग रंग का पहिराबा बनाया। और जब टम के भाइयों ने देखा कि हमारा पिता हमारे सब भाइयों से उसे अधिक प्यार करता है तो उन्हों ने जरा बैर किया और उसमे कुशल से न कह सक्त थे ॥ ५। और यूसुफ ने एक खप्न देखा औरर अपने भाइयों से कहा और उन्हों ने उससे अधिक धेर रकबा ॥ ६ । और उस ने उन्हें यूं कहा कि जो खप्न मैं ने देखा है सेो मुनिये ॥ ७॥ क्योंकि देखिये कि हम खेत में गट्टियां बांधते थे और क्या देखना है कि मेरी गट्टी उठी और मौधी खड़ी हुई और क्या देखता हूँ कि तुम्हारी गट्टियां अाम पास खड़ी हुई और मेरी गट्ठी को दंडवत किई॥ ८। नब उस के भाइयों ने उसे कहा क्या तू सच मुच हम पर राज्य करेगा अथवा न हम पर प्रभता करेगा और उन्हों ने उम्र के खन और उस की बातों के कारण उसे अधिक बैर किया ॥ । फिर उम ने दूसरा खप्न देखा और उसे अपने भाइयों से कहा कि देखा मैं ने एक और खन देखा और क्या देखना है कि सूर्य और चन्द्रमा और ग्यारह तारों ने मुझे दंडवत किई ॥ १० । और उस ने यह अपने पिता और भाइयों से कहा पर उस के पिता ने उसे डपटा और कहा कि यह क्या स्वप्न है जो तू ने देखा है क्या मैं और तेरी माना और तेरे भाई मच मुच तेरे आगे भूमि पर झुकके तुझे दंडवत करगे ॥ १। और उस के भाइयों ने डाह किया परन्तु उस के पिता ने उस बात को सोच रकबा ॥ १२ । फिर उम के भाई अपने पिता कौ झंड चराने मिकम को गये। १३। तब दूसराएल ने यूमुफ