पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/८८

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उम्पत्नि [३८ पर्व व्यापारी उधर से जाते थे सो उन्हों ने यमुफ को कूर्य से बाहर निकाल के इसमसियों के हाथ बीम टुकड़े चांदी पर बेंचा और वे यूसुफ को मिस्र में लाये ॥ २८ । तब रूबिन कुएं पर फिर आया और यमुफ को कुएं में न देखके उस ने अपने कपड़े फाड़े। ३० । और अपने भाइयों के पास फिर आया और कहा कि लड़का तो नहीं अब मैं कहां जाऊं ॥ ३१ । फिर उन्हों ने यूसुफ का पहिराबा लिया और एक बकरी का मेम्ना मारा और उसे उम के लोहू में सुभाड़ा ॥ ३२। और उन्हों ने उस बहुरंगी बस्त्र को भेजा और अपने पिता के पास पहुंचाया और कहा कि हम ने इसे पाया आप इसे पहिचानिये कि यह आप के बेटे का पहिरावा है कि नहीं। ३३। और उस ने उसे पहिचाना और कहा कि यह तो मेरे बेटे का पहिराया है किसी बन पशु ने उसे फाड़ा यसुफ निःसन्देह फाड़ा गया ॥ ३४ । तब यअकब ने अपने कपड़े फाई और टाट बस्त्र अपनी करि पर डाला और बहुत दिन लो अपने बेटे के लिये शोक किया ॥ ३५ । और उस के सारे बेटे बेटियां उसे शांति देने उठौं पर उस ने शांति ग्रहए न किई पर बोला कि मैं अपने बेटे के पास रोता हुआ समाधि में उतरूंगा सो उस का पिता उस के लिये रोया किया ॥ ३६ । और मियानियों ने उसे मिस्त्र में फिरजन के एक प्रधान सेना पति फलिफ़र के हाथ बेंचा ३८ अठतीसा पर्छ। र उस समय में यों हुआ कि यन्नदाह अपने भाइयों से अलग होकर हीरः नाम एक अटूलामी के पास गया ॥ २। और यहूदाह ने वहां एक कमानी की लड़की को देखा जिम का नाम सूत्रा था उस ने उसे लिया और उस के साथ संगम किया ॥ ३ । चुह गर्भिणी हुई और एक बेटा जनी और उस ने उस का नाम एर रक्खा ॥ ४। और बुह फिर गर्भिणी हुई और बटा जनी और उम ने उस का नाम ओनान रकवा ॥ ५। और बुह फिर गर्भिणी हुई और बेटा जनी और उस का नाम सेलः रक्खा और जब बुह उसे जनी तो वुह कज़ीब में था॥ ६ । और यहूदाइ अपने पहिलैठे एर के लिये एक स्त्री ब्याह लाया जिस का नाम तमर और