पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/९०

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[३८ पळ पाया। उत्पत्ति हाथ से अपना बंधक फेर लेवे परन्तु उस ने उसे न पाया ॥ २१ । तब उस ने वहां के लोगों से पूक्का कि जो बेश्या मार्ग में बैठी थी सो कहां है वे बोले कि यहां बेश्या न यौ॥ २२। तब बुह यहूदाह के पास फिर आया और कहा कि में उसे नहीं पा सक्ता और वहां के लोगों ने भी कहा कि बेश्या वहां न था । २३ । यदाह बोला कि उसे लेने दे न हो कि हम निन्दित होवें देख मैं ने यह मेम्ना भेजा और तू ने उसे न २४ । और तीन माम के पीछे यूं हुआ कि वहूदाह से कहा गया कि तेरौं पतोह तमर ने वेश्याई किई और देख कि उसे छिनाले का गर्भ भी है यहूदाह बोला कि उसे बाहर लाओ और जला दो ॥ २५ ॥ जब बुह निकाली गई तो उस ने अपने ससुर को कहला भेजा कि मुझे उस जन का पेट है जिस की ये बस्तें हैं और कहा कि देखिये यह छाप और विजायठ और लाठी किम की है॥ २६ । तब यहूदाह ने मान लिया और कहा कि बुह मुझ से अधिक धौ है इसलिये कि मैं ने उसे अपने बेटे सेलः को न दिया पर वुह अागे को उस्मे अज्ञान रहा ॥ २७ । और उस के जन्ने के समय में यं हुया कि उम की कोख में जमल थ ॥ २८ । और जब बुह पौड़ में हुई तो एक का हाथ निकला और जनाई दाई ने उस के हाथों में नारा बांध के कहा कि यह पहिले निकला ॥ २६। और यं हुआ कि उस ने अपना हाथ फिर खौंच लिया और क्या देखता है कि वहीं उस का भाई निकल पड़ा तब चुह बोली कि तू ने यह दरार क्यों किया इस लिये उस का नाम फाडम हुन्मा ॥ ३० । उस के पीछे उन का भाई जिन के हाथ में नारा बंधा था निकला और उस का नाम शारिक रक्खा । C G ओ ३८ उन्नालीमयां पर्च। र यूसुफ को मिस्र में लाये और फूनीफर मिस्त्री ने जो फिर ऊन का एक प्रधान और राजा का सेनापति था उस को इसमन- एलियों के हाथ से जो उसे वहां लाये थे मोल लिया॥ २। परन्तु परमे- के साथ था और वह भाग्यमान हुशा बुह अपने मित्री खामी के घर में रहा किया ॥ ३। और उस के खामी ने यह देखा कि श्रर यूसुफ