पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/९१

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३९ पर्व की पुस्तक । और उस ने अपना दा परमेश्वर उस के साथ है और यह कि परमेश्वर ने उस के सारे कार्य में उसे भाग्यमान किया। ४। और य सुफ ने उस की दृष्टि में अनुयह पाया और उस ने उम की सेवा किई और उस ने उसे अपने घर पर करोड़ा किया और सब जो कुछ कि उम का था उस के हाथ में कर दिया। और या हुआ कि जब से उस ने उसे अपने घर पर और अपनी सब वस्तुन पर करोड़ा किया परमेश्वर ने उस मिसी के घर पर यूसुफ के कारण बढ़ती दिई और उस की सारी बस्तुन में जो घर में और खेत में थीं परमेश्वर की ओर से बढ़ती हुई। ६ । सब कुछ यसफ के हाथ में कर दिया और उस ने रोटी से अधिक जिसे खा लेता था कुछ न जानता था और यूसुफ रूपमान और देखने में संदर था॥ । और उस के पीछे यो हुआ कि उस के सामी की पत्नी की आंख यमुफ पर लगी और बुह बोली कि मुझे ग्रहण कर ॥ परन्तु उस ने न माना और अपने खामी की पत्नी से कहा कि देख मेरा खामों अपनी रोटी से अधिक जिसे खा लेता है किमी बस्तु को नहीं जामना और उस ने अपना सब कुछ मेरे हाथ में सौप दिया॥ । इम घर में मुझ से बड़ा कोई नहीं और उस ने तुझ को छोड़ कोई वस्तु मुझ से अलग नहीं रक्खी क्योंकि तू उस की पत्नी है भला फिर मैं एसी महा दुष्टता कर क्या ईश्वर का अपराधी हो। १.। और ऐसा हुआ कि वुह यूसुफ को प्रतिदिन कहती रही पर वुह उसे ग्रहण करने का अथवा उस के पास रहने को उस की न मानता था ॥ १। और एक समय ऐसा हुआ कि बुह अपने कार्य के लिये घर में गया और घर के लोगों में से वहां कोई न था॥ १२। तब उस ने उस का पहिरावा पकड़के कहा कि मझे ग्रहण कर तब बुह अपना पहिरावा उम के हाथ में छोड़ कर भागा और बाहर निकल गया ॥ १३ । अब जो उस ने देखा कि वुह अपना पहिरावा मेरे हाथ में छोड़गया और भाग निकला ॥ १४ : तो उस ने अपने घर के लोगों को बुलाया और कहा कि देखो बुह एक दूवरानी को हमारे घर में लाया कि हम से उठोली करे धुंह मुझे अपन करने को भीतर घुस आया और मैं चिला उठो। १५ । और यों हुआ कि जब उस ने देखा कि मैं शब्द उठा [A.B.S.] 11