पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१०६

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सातवां अध्याय
अपराध

हत्या, व्यभिचार और दूसरे कार्य जिन का जिक्र हमने पिछले अध्यायों में किया है अपराध ही हैं। परन्तु इस अध्याय में हम इन से भिन्न अपराधों की चर्चा किया चाहते हैं कि जो धर्म के नाम पर प्रायः होते रहते हैं।

इन में सब से प्रथम हम घरों में आग लगाने की बात कहेंगे। प्रायः ज्योतिषी और स्याने नामधारी भण्ड पाखण्डी लोग स्त्रियों को फुसला कर यह अपराध कराते हैं। स्त्रियों को सन्तान न होने पर बड़ी चिन्ता हो जाती है और प्रायः देखा गया है इस के लिये वे उचित अनुचित सभी उपायों को काम में लाते रहे हैं। इस प्रकार के अपराधों की भित्ति भी धार्मिक अन्धविश्वास ही है। ज़िला मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर के इलाकों में प्रायः स्याने लोग यही नुसखा बताया करते हैं और बहुधा इन ज़िलों के दहातों में ऐसे काण्ड हुआ करते हैं।