पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१८

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आये तो अपराधी ने क्रोध में भर कर उन्हें गालियां दीं और उन पर थूक दिया। इस पर अली को गुस्सा आगया। उन्होंने तलवार रख दी और कहा—इस वक़्त मैं इसे कत्ल नहीं कर सकता क्योंकि मुझे गुस्सा आ गया है।

यह उदाहरण इस बात पर प्रकाश डालेगा कि वास्तव में हत्या या हिंसा में निर्भयता किस दर्जे तक उसे पुण्य बनाती है।

आप के पास एक घोड़ा है, उस की शक्ति का आप सदुपयोग कीजिये वह आपकी गाड़ी को खींच कर जहां आप चाहें ले जायगा। और दुरुपयोग होने पर वही घोड़ा गाड़ी को गिरा कर चकनाचूर कर देगा।

मैं सत्य बोलना पसन्द करता हूँ, मैं सत्य को धर्म समझता हूँ, परन्तु मैं चिकित्सक हूँ। एक रोगी को देखने मैं गया, उसका हृदय बहुत दुर्बल है और उस की हालत अच्छी नहीं है, अब यदि उसे उत्साह और साहस नहीं मिलता है तो वह तत्काल मर जा सकता है। उसे देख कर मैं चिन्तित होता हूँ, परन्तु ऊपर से हंस कर लापरवाही दिखाता हूँ, रोगी से गप सप करता हूँ, हंसता हूँ और उसे अतिशीघ्र आरोग्य लाभ होने की आशा दिलाता हूँ यह सब बिलकुल झूठ है, परन्तु पाप नहीं। मैं इसे धर्म समझता हूँ।

और इस का कारण यह है कि इस झूंठ में मेरा कोई स्वार्थ न था केवल परोपकार की भावना ही थी।