पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/३४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
तीसरा अध्याय

______

अन्धविश्वास और कुसंस्कार

अन्ध विश्वास धर्म की जान है, उस धर्म की जो पाखण्ड की भित्ती पर है, और जिसे आज लोग धर्म मानते हैं। इसी अन्ध विश्वास के आधार पर लोगो ने अत्यन्त भयानक कार्य किये हैं। अन्धविश्वास का दास कभी सत्य के तत्व को तो खोज ही नही पाता। यह बात आम तौर पर प्रसिद्ध है कि धर्म के काम में अक्ल को दखल नहीं है। अन्ध विश्वासी के कारण धर्म नीति से फ़िसल कर रीति पर आ गिरा है, अब वह रूढ़ियो का दास है। जव मैं वडे २ सुयोग्य विद्वानों को अन्ध विश्वास के आधार पर अवैज्ञानिक और युक्तिहीन बात करते पाता हूँ तो चित्त को क्लेश होता है। कुसंस्कार अन्ध विश्वास का पुत्र है, जो अन्ध विश्वासी हैं--उनमें कुसंस्कार की भावनाभी है ही। आज महामना मनीषि-वर मालवीय जैसे प्रकाण्ड राजनीति और समाज तथा अर्थशास्त्र