पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/४२

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शक्तिमान हुआ और उस से बहुत सी वैज्ञानिक उन्नतियाँ हुईं। यूनान में—इतिहास, विज्ञान, अर्थ-शास्त्र, समाज शास्त्र और ज्योतिष मे खूब अन्वेषण हुआ।

ईसाई धर्म रोमन राज्य की दी हुई वस्तु है। भूमध्य सागर के इर्द गिर्द की सब स्वतन्त्र जातियां उस केन्द्रस्थल राज्य के आधीन हो चुकी थीं। वह विजित जातियों की मूर्त्ति पूजा को घृणा सूचक सहन शीलता से देखता रहा। पर देवताओं की भावना मे एक विचित्रता रही, पूर्वी जगत् में देवता स्वर्ग से उतरते थे और मानव शरीर धारण करते थे। पश्चिमी जगत् मे वे पृथ्वी से ऊपर चढ़ते थे और देवताओं से जा मिलते थे। पुरानी मौखिक कथाओं के आधार पर यहूदियों का ऐसा विश्वास था कि उन्हीं की जाति मे एक बचाने वाला पैदा होगा। ईसाके शिष्यों ने ईसा ही को मसीहा बताया, परन्तु पुरोहितों ने उसका विरोध किया। क्योंकि वह उनके स्वार्थों के विपरीत बोलता था। अन्त मे रोमन गवर्नर ने उसे सूली पर चढ़ा कर मरवा दिया। परन्तु उसके मानवीय भ्रात भाव के सिद्धान्त सर्व प्रिय होते ही गये। शीघ्र ही उसके शिष्यों की एक जाति बन गई। और चर्च की स्थापना हुई। यह धर्म धीरे धीरे साईप्रस, यूनान और इटली तक पहुँच कर फ्रान्स और इंग्लैण्ड तक पहुंच गया। बहुत समय तक यह धर्म तीन बातों का प्रचार करता रहा—१. ईश्वर भक्ति, २. पवित्र जीवन, ३. परोपकार।

रोमन सम्राटों ने इस धर्म को दबाने के लिए बड़े बड़े