पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/६६

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आरविन साहब (Arvina) नामक एक विद्वान् ने हिसाब लगाया है कि—

१—पोप जूलियस (Julius) के राज्य-काल में ७ वर्ष के भीतर दो लाख क्रिस्तान मारे गये।

२—फ्रांस में पोपों ने ३ मारा में २ लाख ईसाई मारे।

३—फिर उन्होंने वालदेन्सी और आलबीगेन्सी (Waldenses and Albagenses) क्रिस्तानियों में १० लाख आदमी कत्ल किये।

येसुवीत समाजियों (The Teswits) के तीन वर्ष के बीच नौ लाख ईसाई मारे गये थे। ड्यूक ऑफ आलावा की आज्ञा से ३६ हजार ईसाई मारे गये। इस प्रकार धार्मिक अत्याचार की भेंट निरपराध ५ करोड़ ईसाई स्त्री बच्चे बूढ़े जवान मार डाले गये।

हज़रत मुहम्मद ने इस्लाम धर्म की नींव डाली। प्रारम्भ में उन्हें सफलता न मिली। उन्होंने तलवार को धर्म का माध्यम बनाया। उन्होंने घोषणा की—

मेरे धर्म के प्रचारकों की तर्क के झगड़े में न पड़कर तलवार पर ही भरोसा करना चाहिये जो आदमी मेरा धर्म स्वीकार न करे या उस पर सन्देह करे उसका सिर काट लेना चाहिये। मेर धर्म में तलवार ही सब कुछ है। जो कोई धर्म युद्ध में मरे मारेगा बहिश्त पावैगा, जहाँ शराब की नदियाँ, उत्तम मांस के पकवान और स्त्रियां तथा गुलाम मिलेंगे।