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आमुख

दक्षिण देश के एक प्रान्त में महिलारोप्य नाम का नगर था। वहाँ एक महादानी, प्रतापी राजा अमरशक्ति रहता था। उसके अनन्त धन था; रत्नों की अपार राशि थी; किन्तु उसके पुत्र बिल्कुल जड़बुद्धि थे। तीनों पुत्रों—बहुशक्ति, उग्रशक्ति, अनन्तशक्ति—के होते हुए भी वह सुखी न था। तीनों अविनीत, उच्छृङ्खल और मूर्ख थे।

राजा ने अपने मन्त्रियों को बुलाकर पुत्रों को शिक्षा के संबंध में अपनी चिन्ता प्रकट की। राजा के राज्य में उस समय ५०० वृत्ति-भोगी शिक्षक थे। उनमें से एक भी ऐसा नहीं था जो राजपुत्रों को उचित शिक्षा दे सकता। अन्त में राजा की चिन्ता को