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[पञ्चतन्त्र
 


पिंगलक—"यदि यही बात है तो मैं तुझे आज से अपना प्रधान-मन्त्री बनाता हूँ। आज से मेरे राज्य के इनाम बाँटने या दण्ड देने के काम तेरे ही अधीन होंगे।"

पिंगलक से यह आश्वासन पाने के बाद दमनक संजीवक के पास जाकर अकड़ता हुआ बोला—'अरे दुष्ट बैल! मेरा स्वामी पिंगलक तुझे बुला रहा है। तू यहाँ नदी के किनारे व्यर्थ ही हुंकार क्यों करता रहता है?"

संजीवक—"यह पिंगलक कौन है?"

दमनक—"अरे! पिंगलक को नहीं जानता? थोड़ी देर ठहर तो उसकी शक्ति को जान जायगा। जंगल के सब जानवरों का स्वामी पिंगलक शेर वहाँ वृक्ष की छाया में बैठा है।"

यह सुनकर संजीवक के प्राण सूख गये। दमनक के सामने गिड़गिड़ाता हुआ वह बोला—"मित्र! तू सज्जन प्रतीत होता है। यदि तू मुझे वहाँ ले जाना चाहता है तो पहले स्वामी से मेरे लिये अभय वचन ले ले। तभी मैं तेरे साथ चलूँगा।"

दमनक—"तेरा कहना सच है मित्र! तू यहीं बैठ, मैं अभय वचन लेकर अभी आता हूँ।"

तब, दमनक पिंगलक के पास जाकर बोला—"स्वामी! वह कोई साधारण जीव नहीं है। वह तो भगवान का वाहन बैल है। मेरे पूछने पर उसने मुझे बतलाया कि उसे भगवान ने प्रसन्न होकर यमुना-तट की हरी-हरी घास खाने को यहाँ भेजा है। वह