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[पञ्चतन्त्र
 

गया, जहाँ झुककर उसने अपनी परछाईं देखी थी। वहाँ जाकर यह बोला—

"स्वामी! मैंने जो कहा था वही हुआ। आप को दूर से ही देखकर वह अपने दुर्ग में घुस गया है। आप आइये, मैं आप को उसकी सूरत तो दिखा दूँ।"

भासुरक—"ज़रूर! उस नीच को देखकर मैं उसके दुर्ग में ही उससे लड़ूँगा।"

खरगोश शेर को कुएँ की मेढ़ पर ले गया। भासुरक ने झुककर कुएँ में अपनी परछाईं देखी तो समझा कि यही दूसरा शेर है। तब, वह ज़ोर से गरजा। उसकी गरज के उत्तर में कुएँ से दुगनी गूंज पैदा हुई। उस गूंज को प्रतिपक्षी शेर की ललकार समझ कर भासुरक उसी क्षण कुएँ में कूद पड़ा, और वहीं पानी में डूबकर प्राण दे दिये।

खरगोश ने अपनी बुद्धिमत्ता से शेर को हरा दिया। वहाँ से लौटकर वह पशुओं की सभा में गया। उसकी चतुराई सुनकर और शेर की मौत का समाचार सुनकर सब जानवर खुशी से नाच उठे।

इसीलिये मैं कहता हूँ कि "बली वही है जिसके पास बुद्धि का बल है।"

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दमनक ने कहानी सुनाने के बाद करटक से कहा कि—"तेरी सलाह हो तो मैं भी अपनी बुद्धि से उनमें फूट डलवा दूँ। अपनी