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६.

कुसङ्ग का फल

'नह्यविज्ञातशीलस्य प्रदातव्य प्रतिश्रयः'


अज्ञात या विरोधी प्रवृत्ति के व्यक्ति को आश्रय
नहीं देना चाहिए।


एक राजा के शयन-गृह में शैया पर बिछी सफ़ेद चादरों के बीच एक मन्दविसर्पिणी सफेद जूँ रहती थी। एक दिन इधर-उधर घूमता हुआ एक खटमल भी वहाँ आ गया। उस खटमल का नाम था 'अग्निमुख'।

अग्निमुख को देखकर दुःखी जूँ ने कहा—"हे अग्निमुख! तू यहाँ अनुचित स्थान पर आ गया है। इस से पूर्व कि कोई आकर तुझे देखे, यहाँ से भाग जा।"

खटमल बोला—"भगवती! घर आये दुष्ट व्यक्ति का भी इतना अनादर नहीं किया जाता, जितना तू मेरा कर रही है। उससे भी कुशल-क्षेम पूछा जाता है। घर बनाकर बैठने वालों का यही धर्म है। मैंने आज तक अनेक प्रकार का कटु-तिक्त-कषाय

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