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मित्रभेद]
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बिल्कुल नीले रंग का हो गया। नीले रंग में रंगा हुआ चंडरव जब वन में पहुँचा तो सभी पशु उसे देखकर चकित रह गये। वैसे रंग का जानवर उन्होंने आज तक नहीं देखा था।

उसे विचित्र जीव समझकर शेर, बाघ, चीते भी डर-डर कर जंगल से भागने लगे। सबने सोचा, "न जाने इस विचित्र पशु में कितना सामर्थ्य हो। इससे डरना ही अच्छा है...।"

चंडरव ने जब सब पशुओं को डरकर भागते देखा तो बुलाकर बोला—"पशुओं! मुझसे डरते क्यों हो? मैं तुम्हारी रक्षा के लिये यहाँ आया हूँ। त्रिलोक के राजा ब्रह्मा ने मुझे आज ही बुलाकर कहा था कि—'आजकल चौपायों का कोई राजा नहीं है। सिंहमृगादि सब राजाहीन हैं। आज मैं तुझे उन सब का राजा बनाकर भेजता हूँ। तू वहाँ जाकर सबकी रक्षा कर।' इसीलिये मैं यहाँ आ गया हूँ। मेरी छत्रछाया में सब पशु आनन्द से रहेंगे। मेरा नाम ककुद्‌द्रुम राजा है।"

यह सुनकर शेर-बाघ आदि पशुओं ने चंडरव को राजा मान लिया; और बोले, "स्वामी! हम आपके दास हैं, आज्ञा-पालक हैं। आगे से आप की आज्ञा का ही हम पालन करेंगे।"

चंडरव ने राजा बनने के बाद शेर को अपना प्रधान मंत्री बनाया, बाघ को नगर-रक्षक और भेड़िये को सन्तरी बनाया। अपने आत्मीय गीदड़ों को जंगल से बाहर निकाल दिया। उनसे बात भी नहीं की।

उसके राज्य में शेर आदि जीव छोटे-छोटे जानवरों को मार-