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८.

फूंक-फूंक कर पग धरो

सेवाधर्मः परम गहनो...।


सेवाधर्म बड़ा कठिन धर्म है।

एक जङ्गल में मदोत्कट नाम का शेर रहता था। उसके नौकर-चाकरों में कौवा, गीदड़, बाघ, चीता आदि अनेक पशु थे। एक दिन वन में घूमते-घूमते एक ऊँट वहाँ आ गया। शेर ने ऊँट को देखकर अपने नौकरों से पूछा—"यह कौनसा पशु है? जङ्गली है या ग्राम्य?"

कौवे ने शेर के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा—"स्वामी! यह पशु ग्राम्य है और आपका भोज्य है। आप इसे खाकर भूख मिटा सकते हैं।"

शेर ने कहा—"नहीं, यह हमारा अतिथि है, घर आये को मारना उचित नहीं। शत्रु भी अगर घर आये तो उसे नहीं मारना चाहिये। फिर, यह तो हम पर विश्वास करके हमारे घर आया है। इसे मारना पाप है। इसे अभय दान देकर मेरे पास

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