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मित्रभेद]
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कठफोड़े ने कुछ सोचने के बाद कहा—"यह काम हम दोनों का ही नहीं है। इसमें दूसरों से भी सहायता लेनी पड़ेगी। एक मक्खी मेरी मित्र है; उसकी आवाज़ बड़ी सुरीली है। उसे भी बुला लेता हूँ।"

मक्खी ने भी जब कठफोड़े और चिड़िया की बात सुनी तो वह मतवाले हाथी के मारने में उनका सहयोग देने को तैयार हो गई। किन्तु उसने भी कहा कि "यह काम हम तीन का ही नहीं, हमें औरों को भी सहायता ले लेनी चाहिए। मेरा मित्र एक मेंढक है, उसे भी बुला लाऊँ।"

तीनों ने जाकर मेघनाद नाम के मेंढक को अपनी दुःखभरी कहानी सुनाई। मेंढक उनकी बात सुनकर मतवाले हाथी के विरुद्ध षड़यन्त्र में शामिल हो गया। उसने कहा—"जो उपाय मैं बतलाता हूँ, वैसा ही करो तो हाथी अवश्य मर जायगा। पहले मक्खी हाथी के कान में वीणा सदृश मीठे स्वर का आलाप करे। हाथी उसे सुनकर इतना मस्त हो जायगा कि आंखें बन्द कर लेगा। कठफोड़ा उसी समय हाथी की आंखों को चोंचे खुभो-खुभो कर फोड़ दे। अन्धा होकर हाथी जब पानी की खोज में इधर-उधर भागेगा तो मैं एक गहरे गड्ढे के किनारे बैठकर आवाज़ करूँगा। मेरी आवाज़ से वह वहां तालाब होने का अनुमान करेगा और उधर ही आयेगा। वहां आकर वह गड्‌ढे को तालाब समझकर उसमें उतर जायगा। उस गड्‌ढे से निकलना उसकी शक्ति से बाहिर होगा। देर तक भूखा-प्यासा रहकर वह वहीं मर जायगा।"