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मित्रभेद]
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आकर उसने चिड़िया के उस घोंसले को तोड़-फोड़ डाला जिसमें चिड़ा-चिड़ी सुख से रहते थे।

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करटक ने कहा—"इसीलिये मैं कहता था कि जिस-तिस को उपदेश नहीं देना चाहिये। किन्तु, तुझ पर इसका कुछ प्रभाव नहीं। तुझे शिक्षा देना भी व्यर्थ है। बुद्धिमान् को दी हुई शिक्षा का ही फल होता है, मूर्ख को दी हुई शिक्षा का फल कई बार उल्टा निकल आता है, जिस तरह पापबुद्धि नाम के मूर्ख पुत्र ने विद्वत्ता के जोश में पिता की हत्या करदी थी।

दमनक ने पूछा—"कैसे?"

करटक ने तब धर्मबुद्धि-पापबुद्धि नाम के दो मित्रों की यह कथा सुनाई—