पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/१७७

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2 PAUXACARIU (b) बहें णिय-कावण्णु में विज्यसोड, (b) निर्गुणः कौडमः पहो मलु केवल पर काम-रसोहु ॥ 1 18 6. लावण्यस्य कलाजम् । 3 106b. (०) पासेय-फुलिकावलि चार, (0) मण्डन खेत(?)बिन्दवः। पर गल्पड मोत्तिय-हार माह॥1 187. कुचयोः हार-मारस्त व परिकल्पितः॥ (d) कोयण जि सहा पळ-विसाक, 8 108. बारम्बद पर कन्दोमा॥ 1 13 8. (d) मण्डनं मुण्डमालाया(1) यस्याबदुरभू परम् (७) कमकासाऍ भमन्तऍण, मलिवकएं मन्दें। भसितोत्पल-दामानि केवलं भारमात्रकम् 3 100 मुहलीपर कम-शुषलु कि डर-सरें। (e) भूषण अमरा एव निलीनाः कमलाशया । 1139. पादयोरेन्बनीले च नूपुरे निष्प्रयोजने 13 110 9 1 14 4-8. 9 3 114-120. (8) का-विx x गायह पाया ॥ 1 14 4. (a) काश्चित्xx उपगायन्ति वीणया। 8 114 (b)का-विदेह तम्बोलु सहस्यें।1 145a. (b) ताम्बूलदायिनी काचित् । 8 116a. (6) सम्बाहरणु का-वि सहुँ वत्यें। 11458. (c) मानेत्री वाससां काचिद् (d) पाइका-वि चमरु। 114 6a. भूषणानां ततः परा। 31180. (e) उक्साय-सग का-विपरिक्खइ1 147a. (d) चामरप्राहिणी काचित् । 3 118a. (९)का-विजक्सकामेण पसाहह। 1148a. (e) मण्डलाप्रकरा काचित् सततं पालनोचता। 3 116 b. (f) काचिद् गन्धानुलेपने। 3 1196. 10 वर-पहों पसुतिवऍ सुविणावलि विट्ठी । 10 (8) शयनीये खे सुप्ता साऽत्यन्त-कोमळे । 1 14 9a, 3 1216. (b) अद्राक्षीत् xx खनान् । 3 123b. 11 एम पुतु, वड होसह तिहुमण-तिलड पुनु । 11 अगाद 'त्वयि संभूतसोलोक्यस्य गुरुः शुमे 1 16 16. 3 1536. 12 (a) जिण-सूरु समुट्ठिर । 1 16 8a. 12 उदितस्त्वं दिवाकरः । 3 2025. (b) उहडxxx विवायह।1169b. 18 बोहन्तु मम्व-अण-कमल-सण्ड। 116 86 13 प्रबोध यास्थतीदानी भव्यसत्त्वकुमुदती। 3 2036. VP. जिणिन्दमाण वोहिन्तो भविष-कमलाई 2 366. 14वक-किरणाया। 1169a 14 VP. केबल-किरण-दिवायर । 2436 15 मोहन्धार-विणासपह। 1169a. 15 महान-तमसावृते । 3 2020, VP. मोहन्धयार-तिमिरे । 2 43a. 16 बहु सोप-परि किय जक्लें 16 (8) ततः साकेतनगरं धनदेन विनिर्मितम् । परियत्रिय ति-बार सहसों। 225. 3 169a. (b) पुरं प्रदक्षिणीकृत्य त्रिः शक्रः । 3 172a. .17 बग्गऍ माया-बाबु पवेप्पिण। 227b. 17 मायावालम् । 3 178a. VP. मायावा ठविय पासे। 876a,