पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/१८९

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14 PAUMACARFU 191 189 पीसह सुणातु xxx 189 नेत्र-कान्ति-नदी ध-सनिम-नासिकाम् जणयण-अलहों किड सेउ-बन्धु॥ 8 62b. 1037 190 दहगीव-कुमारहाखविचितु। 104 1a. 190 cf. अभिप्राय-कोविदः । 8 78a. 'बहुपहxxx विसइ सयंपहु पहशु । 191 समं तया ततो यातः खयंप्रभुपुर कृती। 1049a. 881a. VP. पत्तो सयंपहपुरै तीऍ समं दहमुहो।8 22a. 192 जलहरबह जामें गिरि विसालु । 192 नाना मेघरवं गिरिम् । 8 90a. 10 5 2a, VP. मेहवर पव्वयं पत्तो। 829b. 193 कुमारिहि छह सहास । 10 5 3a. 193 षटू सहस्राणि कन्यानाम् । 895b. 194 रयणासव-णन्दणु xxxi 194 ता युगपद् दृष्ट्वा कन्या रजश्रवःसूतम् । सहसत्ति विट्टु परमेसरीहि ॥ 10 5 50-5a. 8 99a. 195 तउ मह कारणे हुकुमरण। 10 6 6a. 195 अस्मत् प्रयोजनासाथ प्राप्तोऽस्थत्यन्त-संशयम् 8 122a. 196 किर काई सियालहि पाइएहि 10 67a 196 of. VP. गरुडस्स कि य कीरइ बहुएसु वि वायसेसु मिलिए। 8 45a. 197 बडा विसहर-पासें हैं। 10 6 8a. 197 नागपाशैःxxx बद्ध्वा । 8 135b. VP. अह बन्धह नागपासेहिं । 8 51b 198 मामेहेंवि पुजेंवि । 107 10. 198 मोचितास्त ततस्ताभिः पूर्जा च परि- लम्भिताः। 8 136a. 199 ऍतहे वि कुम्भपुरै कुम्भवण्णु। 1074a. 199 (a) अथ कुम्भपुरे । 8142a. (b) भास्करश्रवणः । 8 143a. VP. तत्थेव कुम्भनयरे। 8 57a. 200 वयणालदार-दूतः । 1076 a. 200 दूतो वाक्यालङ्कारसंज्ञितः। 8 165a. VP. वयणालद्वारदयं । 8 67a. गम्पि। 201 प्रविवेश ततो दूतःxxx। तेहि मि किउ मग्भुत्याणु किंपि। 1077 उपचार च संप्राप्तः कृतक लोकमार्गतः । 8 164 202 पोचट णिवारि र कुम्भयण्णु। 202 तेऽयुक्त xx प्रमत्तचेतसं पौत्र णिवारमितु- 10 7 8 a. मात्मनः । 8 1686. 203 एयहाँ पासिउ पायाल-बE 203 अलहारोदयं xxx तदेव विवरं भूयः परवेसउ पुर्ण-वि करेवि सम्1083 प्रवेष्टुमभिवाञ्छसि ॥ 8 176 VP. पुणरवि धरिणीविवरं xxकि पवि- सिउं महसि ॥ 8756. 204 कहाँ तण अणड कहाँ तणड इन्दु । 204 कोऽसौ वैश्रवणो नाम को वेन्द्रः परिभा- 10 8 7 a. 8 181a. VP.को वेसमणो नाम को वा वि हु भण्णा इन्दो। 877a. 205 पाँ पदमुकरेपिणु बलि-विहाणु । 205 पिरखावत् पातयामि रुपे बलिम्।8 183b 10 89 a. 201 पाहु ध्यते।