पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२०१

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28 PAUMACARIU 382 उप्पऍवि णहाणे विगय। 18119. 382 पुरः प्रहसितं कृत्वा वायुगंगनमुथयो। 16 148. VP.दोण्णि बि गयणाणेण बच्चन्ता। 16 63. 383 पच माणहें भवणु 383 (a) प्राप्तधाजनसुन्दर्या गृहे प्रग्रीवकोदरे । पच्छण्णु होवि थिउ कहि-मि पवणु ॥ वायुरस्थात्प्रविष्टस्तु तस्याः प्रहसितोऽन्तिकं। गड पहसिउ भन्भन्तरें 16 151. xxx आगमणु सिटु ॥ 18 12 1-2. (b) अकथयत्तस्यै पवनञ्जयमागतम् । 16 154. VP. पहसिओxxx अन्भिन्तरं पविट्ठो। 1664. 384 एष पुण्णु जह। 18 125. 384 अपुण्याम् । 16 156. 385 पछ चरिउ करें लेवि देवि। 18 12 8. 385 गृहीत्वा दयितः पाणौ शयने समुपाविशत् । 16 171, 386 तं मरुसेजहि मिगणयणि । 19 10. 386 देवि मा काषीरुद्वेग त्वम् । 16229. VP.मा उव्वेयस्स देहि अत्ताणं। 16 84. 387 कर मउलिकरेप्पिणु विण्णवइ, 387 कृत्वा करयुगाम्भोज जगादाजनसुन्दरी रयसलहें गन्भुजह संभवइ । xxऋतुमती xxx ततस्त्वविरहे तो उत्तरु काई देमि जणहाँ। 19 1 2-3. गर्भो ममावाच्यो भविष्यति ॥ 16231-232. VP.अजं चिय उदुसमओxxxगभी कयाइ उयम्मि हाही वयणिजयरो। 16 86. 388 काणु xxx समल्ल।वि। 19 1 4. 388 वलयं दत्वा । 16238 389 एउ काई कम्मु पहँ मायरिउ । 19 17. 389 तव केनेदं कृतं कर्म । 174 390 °भयाउरउ संजायउ वे विणिरुत्तरउ । 390 भीत्या निरुत्तरीभूनाम् । 17 16 19 2 4, 391 हकारेंवि पभणिउ कूर-भदु । 391 क्रूरनामानं क्रूरमाहूय किहर xxx 'एयउ xxx माहेन्दपुरहों दूरन्तरेण । इत्यूचे । xxx नात्वमा महेन्द्रपुरगोचर यानेन परिधिववि भाउ सहुँ रहवरेण ॥ सहितां सख्या निक्षिप्यहि । 17 12-13. 19 2 5-7. 392 गउ वे वि पडावेवि । 1929. 392 सख्या समं समारोप्य यानम् । 17 18. VP. समयं सहियाएँ अञ्जणा xxx जाणम्मि समारूढा । 17 8. 393 मण xxx ओमारिया। 19 2 10. 393 अवतार्यताम् । 17 21. 394 रवि अत्यन्तभो, मजणाएँ केरउ 394 ततोऽजना समालोक्य दुःसमारादिवोत्तमा दुक्खु वि असहन्तभो। 19 31. xxx रविरस्तमुपागमत् । 17 22. VP. ताव य अत्थंगओ सूरो। 17 9. 395 सादुक्खुदुक्खु परियलिय णिसि 19 3 5.395 निशा नि-ये कृच्छ्रेणासौ। 17 29. 396 पट्टण हह-सोह करहों। 19 3 8. 396 पुरस्य क्रियतां शोभा। 1736. 397 f xxx सिरें वजेण हउ। 19 4 5. 397 वज्रेणेवाहते श्रुती । 17 39. 398 दुस्सील दुटुxxx विणु खेवें 398 निर्वास्यतां पुरादस्मादर सा पापकारिणी । जयरहों णीसरउ । 1946. 17 39. VP. (a) धाडेह पावकम्मा बाला xx एसा। 17 20. (b) धाडेह लहुं पुरषराओ। 17 24.