पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२८४

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क.१,५२,१-९,३,1-4] अट्ठमो संधि 10 ॥ घत्ता ॥ परिचिन्तिउँ विजाहरण 'तहों जाइँ जाइँ आखण्डलहों । ताइँ ताइँ महु चिन्धाइँ लई हउँ जि इन्दु महि-मण्डलहों ॥९ [२] 'जुएँ खय-कालें णिड्ड (2) णिड्डालिहें जे जे सेव करन्ता मालिहे ॥१ ते ते मिलिय णराहिव इन्दों अवर जलोह व अवर-समुद्दहीं ॥२ कप्पुण दिन्ति जन्ति सिरिगारहि (?) आण करन्ति वि णाहङ्कारहिं ॥ ३ केण विकहिउ गम्पि तहो मालिहें 'पहु संकन्ति(?) ण तुम्ह 'णिड्डालिहे(?)॥४ इन्दु को वि सहसारहों णन्दणु तासु करन्ति सब भिच्चत्तणु' ॥५ तं णिसुणेवि सुकेसहों पुत्तें कोव-जलण-जालोलि-पलिते ॥६ देवाविय रण-भेरि भयङ्कर घरु (?) सण्णहेवि पराइय किङ्कर ॥ ७ किक्किन्धंहों किक्किन्धहों णन्दण दिण्णु पयाणउँ वाहिय सन्दण ॥८ ॥ घत्ता ॥ 'गमणु ण सुज्झइ महु मणहो' तं मालि मुमालि करेंहिँ" धरइ । 'पेक्खु देव दुणिमित्ताई सिव कन्दइ वायसु करगरई ॥९ [३] पेक्खु कुहिणि विसहर-छिजन्ती मोकल-केस णारि रोवन्ती ॥ १ पेक्खु फुरन्तउ वामउ लोयणु पेक्खहि रुहिर-हाणु वस-भोयणु ॥ २ पेक्खु वसुन्धरि-तलु कम्पन्तउ घर-देवउल-णिवहु लोहन्तउ ॥ ३ पेक्खु अकाले महा-घणुं गजिउ णहें णच्चन्तु कंवन्धु अलजिउ' ॥४ तं णिसुणेवि वयणुं तहाँ वलियउ 'वच्छ बच्छ जइ सउणु जि बलियउ॥५ तो किं मरइ सव्वु ऍउ अलियउँ दइउ मुएवि अण्णु को" बलियउ ॥ ६ 28 परिचिति उं. जाई जाई वि. :3011चधाइ, चिंधई.BI 'This Padar is missing in 1. 32 P 35, s missing. 2. 1 The first line in missing in A. :: नय. दनि, A दिति. 5 s सेंगारहिं, A सिंगारिहि. GA गर्णान. siil.giller, A हव. रिहिं. 8 केहिं मि. 9 $ मालिहो. 107 सकति. [11 णि हालिहे, णिदालिं, : निडालिहे. 1:'s णंदणो. 18 5 जालालि. 14 A किंकिध वि. J5 1 पयाणउं. 16 सुमाले. 173'., कर. 18 पेक्खे. 19 A दुनिमित्ताइ. 20 करकरइं, करकरइ. 3. 1A पक्खि. 215 'देउलहं. 3 णित्रहुं. 4 : अकालि.. महाघण. Gणचंति. 7 s ववण्णु. 8 PS सवणु. 9 " सकु. 10 5 यउ, A इउ. 11 ' अलिभउं. J: दयउ. 20 BA स्वरव. 13A नउ. [२] १ मृत्युकाले. २ ललाट:. ३ आज्ञा. [३] १ मार्गः. २ भन्नघडं(२) वा.