पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२९७

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5 पउमचरिउ [क०१३, ६-९,१४,१-९,१, १-२ णामेण सयंपहु णयरु किउ णं सग्ग-खण्डु अवयरेंवि थिउ ॥ अण्णु वि उप्पाइर्ड चेइहरु मणहरु णामेण सहससिहरु॥७ उत्तुङ्गु सिङ्गु उण्णई करेंवि णं वञ्छइ सूर-विम्वु धरेंवि ॥८ ॥ धत्ता॥ तं रिद्धि सुणेवि दमाणणहों परिओK पवड्डिउँ परियणहों। आयइँ कइ-जाउहाण-चलइँ णं मिलेंवि परोप्पर" जल-थलइँ॥९ [१४] जं दिट्ठ सेणे सयणहुँ तणिय परिपुच्छिय पुणु अवलोयणिय ॥१ ताएँ वि संवोहिउ दहवयणु 'ऍहु देव तुहारउ वन्धु-जणु ॥२ ॥ तं णिसुणेवि णरवइ णीसरिउ णिय-विज-सहांसें परियरिउ ॥॥३ णं कमलिणि-सण्डे पवरु सरु णं रासि-सहासें दिवसयर ॥ ४ स-विहीसणु कुम्भयण्णु चलिउ णं दिवस-तेउ सूरहों मिलिउ ॥ ५ तिणि मि कुमार संचल्ल किर उच्छलिय ताम फम्फाव-गिर ॥६ रयणासवु पत्तु स-वन्धुजणु तं पट्टणु तं रावण-भवणु॥७ 15 तं सह-मण्डउ मणि-वेयडिल तं विज-सहासु समावडिउ ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ पेक्खेप्पि] परिओसिय-मणेण णिय तणय सुमालिहें णन्दणेण । रोमचाणन्द-णेह-जुऍहिँ चुम्बेवि अवगूढ से ई भु हिं" ॥९ [१०. दसमो संधि] "साहिउ छट्टोववासु करवि णव-णीलप्पल-णयौँण । सुन्दरु सु-वंसु सु-कलत्तु जिह चन्दहासु. दहवयणेण ॥१॥ [१] दससिरु विजा-दससय-णिवासु साहेप्पिणु दूसहु चन्दहासु ॥ १ गउ वन्दण-हत्तिऍ' मेरु जाम संपाइय मय-मारिच्चं ताम ॥२ 9' अवयरिवि, A अवअरिवि. 10 5 उप्पायउ चेयहरु. 15 सहसकिसिहरु. उप्पण्णु. 13 : सूरु. 11 परिउसु. 15 1A पटिउ. IGP परोप्परो. 14. 1 सेण... P सयणहु, : सयणहो, A सयणहं. 318 पडिपुच्छिय. 4 5 ताई. 5A तुहारलं. 6 सहासे. 7 : पवर. 5 °सहावे. 9A दसदिसितेउ सूरु. 10 $A वि. 11 P संचलि. 125 ताव. 13 : A रयणासउ. 14 विजासहसु. 351" पेक्खेविणु. 10P पडिओसिय. 17 ! सुमालिह, सुमालिहि. 1811: सयं. 19, भूयहि, A भूएहि. 1. I ? वंदणहत्तिहे. 2 'मारिचि. [१४] १ समूहेन. २ रत्नाश्रवेण. ३ आलिङ्गिताः, 12A