पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३१५

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पडमचरित [क०५,०-१७६१-९ दहमउ कइ-केयणु सिरि-सहिउ एयारहमउ पडिवलु कहिउ ॥७ वारहमउ णयणाणन्दयरु तेरहमउ खयराणन्दु वरु ॥८ चउदहमउ गिरि-किंवेरवलु (?) पण्णारहमउ णन्दणु अजउ ॥९ सोलमा पुणु कों"वि उवहिरउ तडिकेस-'विगमे किउ तेण तउ ॥१० सत्तारहमउ किकिन्धु पुणु तहों कवणु सुकेसे ण किउ गुणु ॥ ११ अट्ठारहमैउ पुणु सूररउ जमु भन्जेवि तहों पइसारु कई ॥१२ तुहुँ एवंहिँ एकुणवीसमउ अणुहुजें रजु मणे मुएवि 'मउ ॥ १३ ॥ घत्ता । "जेण देइ पवलु आउ णिहाले मुहुँ तं णमहि तहुँ गम्पि दसाणण-राणउ । चउरङ्ग-वलु इन्दहों उर्वरि पयाणउ' ॥ १४ [६] जं किउ जयकारु णाम-गहणु तं णवर वेलेंवि थिउ 'अण्ण-मणु ॥१ ण करेइ कण्णे वयणाइँ पहुं जिह पर-पुरिसंहों सु-कुलीण-बहु ॥२ एत्थन्तरें दहमुह-दूअऍण अञ्चन्त-विलक्खीहूअऍण ॥ ३ ॥णिन्भच्छिउ मेल्ले वि सयण-किय 'जो को वि णमेसइ तासु सिय ॥४ णीसरु तुहुँ आयों पट्टणहों णं तो भिंडु परऍ दसाणणहों' ॥ ५ तं णिसुणेवि कोव-करम्विऍण पडिदोच्छिउ सीहविलम्विऍण ॥ ६ 'अरे वालि देउ किं पइँ ण सुउ महु महिहरु जेण मुंअहिँ विहुउ ॥७ जो णिविसद्धेण पिहिवि कमइ चत्तारि वि सायर परिभमैइ ॥८ ॥घत्ता॥ जासु महाजसेंण रणे अणवसेंण धवलीहूअउ तिहुवणु । तावियट्टाहों अभिट्टीही कवणु गहणु किर रावणु' ॥९ 20 8 This and the next two distichs wanting in A. 9 8 एयारहमउं. 10 P गयणा 11 A पण्णारहमउं. 12 ? कवि, कुवि. 13 P अट्ठारहमउं. 14 Ps किउ. 15 PS अहि. 16A रज. 17 PA मुहूं. 18A राणउं. 19 P उमरि. 20 A. 6. 1A लेवि. 2 4 पहुं. 3 A पुरिसहुं. 4 A °वहुं. 5 P मेलवि, s मेलनि, - मेल्लिवि. 6 P मिड.7 भुए विहओ, s भुयेहि हउ. 8 P पिहिमि. 9 PA कमई. 10 A पारि. 11 S A परिजमाई. 12 s मपण. 13 Ps वियड्डहो. 14 P अभिट्टहो, S अम्भिहो. [५] १ वियोगे. २ मदः. [६] १पराधुखः. २ सज्जनक्रिया. ३ प्रभावे. भ-परवशीकृतेन, ४ मन्त्रिनामेदम्. ५ भूमौ कृतः (१).