पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३२९

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पडमचरित [क०४,९१५, 1-3.16 ॥पत्ता ॥ वद्धिय-हरिसउ जुवहहिं सरिसर माहेसरपुर-परमेसरु । सलिलम्भन्तरें माणस-सरवरें णं पह? सुरिन्दु स-अच्छरु ॥९ [५] 'सहसकिरणु सहसत्ति णिउडेवि आउ णाई महि-वहु अवरुण्डेंवि ॥ १ दिड मण्डु छुड अद्भुम्मिल्लउ रवि व दरुग्गमन्तु सोहिल्लउ ॥२ दिड्ड पिडालुं वयणु वच्छत्थेलु णं चन्दछु कमलु णह-मण्डलु ॥ ३ पभणई सहसरोसि 'लइ दुकहाँ जुज्झहों रमों ण्हाहों उलुकहों ॥४ तं णिसुणेवि कडक्ख-विक्खेविउँ वुड्डउ उकराउ महएविउ ॥५ "उप्परि-करयल-णियरु परिट्ठिउ णं रत्तुप्पल-सण्डु समुट्ठिउ ॥६ णं केयइ-आरामु मणोहरु णक्ख-सूइ कडउल्ला केसीं ॥७ महुयर सरे-भरेण अल्लीणा कामिणि-मिसिणि भणेवि णं लीणा ॥८ । घत्ता ॥ सलील-तरन्तहुँ उम्मीलन्तहुँ मुह-कमलहुँ केइ पधाइय। " आयाँ सरसइँ किय(र?) तामरसइँ गरवइहें भन्ति उप्पाइय ॥९ अवरोप्पर जल-कील करन्तहुँ घण-पाणालि-पहर मेल्लन्तहुँ ॥१ कहि मि चन्द कुन्दुजल-तोरेंहिँ धवलिउ जलु तुझुन्तेहिं हारेहि ॥ २ कहि मि रैसिउ णेउरेंहिं रसन्तेहिं कहि मि फुरिउ कुण्डलेंहिँ फुरन्तेंहिँ॥३ "कहि मि सरस-तम्वोलारत्तउ कहि मि वउल-कायम्बरि-मत्तं ॥४ कहि मि फलिह कप्पूरेंहिँ वासिउ कहि मि सुरहि मिगेमय-वामीसिउ ॥५ कहि मि विविह-मणि-रयणुजलियउ कहि मि धोअ-कजल-संवलियउ॥६ कहि मि वहल कुड्डम-पिञ्जरियउ कहि मि मलय-चन्दण रस-भरियउ॥७ कहि मिजक्खकहमण करम्विउ कहि मि भमर-रिञ्छोलिहि चुम्विउँ ॥८ 7 दियहरिसिउ. 8 P S पदु. b. 1 s महिपलु. 2 PS अदुम्मीलिउ, A अटुंमिलत. 3 s णिलाहु. 44 पमणई. 57 SA गाहु. 6 मलुकहो. 7 Ps °चिक्लेवउ. 8 P उप्परे. 9 P marginally, A सेहक. 10 °सम'. 11 पोमिणि मिसिणइं लिलीणा. 12 A सलिलु. 13 णवरुहे. 6. 1 s opleifor. 2 P gifat, s a géfaft. 3 P 8 graft, a groft. 4 A त्तर. 58 बोय', चोw. 6 म.7 विर. [५] १ जळे बुडयित्वा. २ ईषत्. ३ रश्मयः (१). ४ आमस्तक-समस्ताः. [६] पछटा. १ शुभैः३ शन्दं कृतं अकेन. ४ मदिरा. ५ कस्तूरी.