पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३३५

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पडमचरित (601, 6-8; 8, gang, og det तं णिसुणवि णिसियर लजियई थिय महियले विज-विवजियई॥६ तो सहसकिरणु सहसहिं करेंहिँ णं विद्धई सहस-सहस-सरेंहिँ ॥७ दूरहों जि णिरुद्धउ वइरि-वलु णं जम्बूदीवें उवहि-जलु ॥८ ॥घत्ता॥ अमुणिय-थाणहों किय-संधाणहों दिहि-मुद्वि-सर-पयरहों । पासु ण दुका ते उल्लुकई तिमिरु जेम दिवसयरहों ॥९ [४] अट्ठावय-गिरि-कम्पावणों पडिहारें अक्खिउ रावणों ॥१ 'परमेसर एकें होन्तऍण चलु सयलु धरिउ पहरन्तऍण ॥२ रणे रहवर ऐकु में परिभमइ सन्दण-सहासु णं परिभमइ ॥३ धणु एकु एकुणरु दुइ जें कर चउदिसहि णवर णिवडन्ति सर ॥४ कर कहों वि कहों वि उरु कप्परिउ करि कंहों वि कहों वि रहु जजरिउ'॥५ तं णिसुणेवि उवहि जेम खुहिउ लहु तिजगविहूसणे आरुहिउ ॥६ गउ तेत्तहें जेत्तहें सहसकरु कोकिउ 'मरु पाव पहरु पहरु ॥ ७ "हउँ रावणु दुजउ केण जिउ में पाराउट्ठउ धणउ किउ' ॥८ ॥ घत्ता ॥ विद्धन्तेर्ण सहि महारहु छिण्णउ । पर्णइ-सहासेंहिँ चउ-पासेंहिँ जसु चउदिसु विक्खिण्णउ ॥९ [५]

  • माहेसरपुर-वइ विरहु किउ णिविसर्द्ध मत्त-गइन्दै थिउ ॥ १

णं अञ्जण-महिहरें सरंय-घणु उत्थरिउ स-मच्छरु गीढ-धणु ॥२ सण्णाहु खुरुप्पें कप्परिउ लङ्काहिउ कह वे समुवरिउ ॥३ जें सबायामें मुअइ सर लुअ-पक्ख पक्खि णं जन्ति धर ॥४ दससयकिरणेण णिरिक्खियां पचारिउ 'कहिँ धणु सिक्खियउ॥५

  • जजाहि ताम अन्भासुं करें पच्छलें जुज्झेजहि पुणु समरें ॥६

6. सो.7 P विधइ.8A अलुबई. 1 धरिउ सयलु.2P एक नि. 3 A संदणहं सहसु. 4 PS कह. 5A पाव. 6 PS भणंतएण. 7 Ps विद्धंतएण, Aविधतेण. 8 सरिहि. 9PS पणय, पणई. 10 १ गं बसु. 11 P विखिण्ण, s विखिण्णउ. 5. 1 PSA णिवस.. 25 सिहरे. °वणु. 42s कहि मि. 5 P णिरिक्खिमलं, गिरक्तियां.6 अक्षासु. [५]रथरहितः एम भणन्तें]