पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३३६

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3 क०५-९,६,१-८०,१-९] पण्णरहमो संधि तं णिसुणेवि जमण व जोइयउ कुलर कुञ्जरहों पचोइयउ ॥७ आसपणे चोऍवि विगय-भर्ड णरवइ णिडालें कोन्तेण हउ ॥ ॥ घत्ता ॥ जाम भयङ्कर असिवर-कर पहरइ मच्छर-भरिया । ताम दसासेणं आयासॅण उप्पएवि पहु धरियउ ॥९ [9] णि णिय-णिलयों मय-वियलियउ णं मत्त-महागउ णियलियउ ॥१ 'मा मइ मि धरेसइ दहवयणु' णं भइयऍ रवि' गउ अत्थवणु ॥ २ पसरिउ अन्धारु पमोकलउ णं णिसिएँ पित्त मसि-पोट्टलउ ॥ ३ ससि उग्गउ सुटु सुसोहियउ णं जग-हरें दीवउ घोहियउ ॥४ सुविहाणे दिवायरु उग्गमिउ णं रयणिहिँ मइयवदु भमिउ ॥५ तो णवर जम्चारण-रिसिहें सयकरहों 'विणासिय-भव-णिसिहें ॥६ गय वत्त 'सहासकिरणु धरि चउविह-रिसि-सङ्के परियरिउ ॥७ ॥घत्ता॥ 30 रावणु जेत्तहें गउ (सो) तेत्तहें पञ्च-महावय-धारउ । दिड दसासेंण सेयंसेण णावइ रिसहु भडारउ ॥८ [७] गुरु वन्दिय दिण्णइँ आसणइँ मणि-वेयडियई सुह-दसण. ॥ १ मुणि-पुङ्गउ चवइ विसुद्धमई 'मुऍ सहसकिरणु लङ्काहिवइ ॥२ ऍहु चरिमदेहु सामण्णु ण वि महु तणउ भव-राईवं-रवि' ॥३ तं णिसुणेवि जम-कम्पावणेण पणवेप्पिणु वुच्चइ रावणेण ॥४ 'महु एण समाणु कोउ कवणु पर पुँजहें कारणे जाउँ रणु ॥५ अज्जु वि एहु में पहु सा 'जि सिय अणुहुञ्जउ मेइणि जेम तिय ॥६ तं णिसुणेवि सहसकिरणु चवइ "उत्तमहों एउ किं संभवइ ॥ ७ तं मणहर सलिल-कील करेंवि पइँ समउ महाहवे उत्थरेवि ॥ ॥ घत्ता॥ एवहिँ आयएँ विच्छायएँ राय-सियऍ किं किज्जा। वरि थिर-कुलहर अजरामर सिद्धि-बहुवै परिणिजई' ॥९ 78 A गयघरठalso noted marginally in P. 8 A °वरु. 9 PS दसाणणेण. 6. 18 जिउ. 2 P 8 गउ रवि. 3 P णिसिपधिसु. 44 मइयवहु. 5 4 सहसकरणहो णासिय'. 6 This pāda missing in A. 7 PS दसाणणेण. 7. 1PSA भासणाई.2 °दसणाई. 3 Ps चरम. 4 PS राजीव. 5 PA पुगए, पुजाइ. 6 हूउ. 74 सो जि. 8 PS महाहउ.9P8 वर. 108°लयर. 11 23 25