पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पउमचरित [क०१२,३-९३१३,1-2 [१२] तंणिसुणेवि 'चित्तमाल चवइ 'मइँ होन्तिऍ काइँण संभवइ ॥ १ आएसु देहि छुडु एतडउ ऍउ सुन्दरि कारणु केत्तडउ ॥२ तुह ख्वहों रावणु होइ जइ लइ वट्टइ तो एत्तडिय गई' ॥३ 'तं णिसुणेवि मणहर-अहरयलु उवरम्भहें विहसिउ मुह-कमलु ॥४ 'हले हले सहि ससिमुहि हंस-गइ सो सुहउ ण इच्छइ कह वि जइ ॥ ५ आसाल-विज्ज तो देहि तहों अण्णु वि वजरहि दसाणणहों ॥६ बुधइ रहनु भंड-लिह-लुहणु इन्दाउहु अच्छइ सुअरिसणु' ॥७ तं णिसुणेवि दूई णिग्गइय लकेसावासु णवर गइय ॥८ ॥ घत्ता॥ कहिउ दसासों सुर-तासंहों जं उवरम्भऍ वुत्तउ । 'एत्तिउ दाण तुह विरहेण सामिणि मरइ णिरुत्तउ ॥९ [१३] उवरम्भ समिच्छहि अज्जु जइ तो जं चिन्तहि तं संभवइ ॥१ • आसाली सिज्झइ पुरवरु वि सुअरिसणु चक्कु णलकुव्वर वि' ॥२ तं णिसुणेवि सुद वियक्खणहों 'अवलोइंउ वयणु विहीसणहों ॥ ३ पइसारिय दूई मजणऍ थिय वे वि सहोयर मन्तणऍ ॥४ 'अहाँ साहसुपभणइ पहु मुयवि जं महिल करइ तं पुरिसु ण वि ॥५ दुम्महिल जि भीसण जम-णयरि दुम्महिल जि असणि जगन्त-यरि ॥ ६ "दुम्महिल जि स-विस भुयङ्ग-फर्ड दुम्महिल जि वइवस-महिस-झड ॥ ७ दुम्महिल जि गरुय वाहि णरहों दुम्महिल जि पग्धि मझें घरहों' ॥८ ॥ घत्ता॥ भणइ विहीसणु सुह-दंसणु 'एत्थु एउ ण घट्टइ। सामि णिसण्णहों णउ अण्णहों मेयहाँ अवसरु वट्टइ ॥९ 12. 1 PS सुणेवि विचित्तमाक. 2 Ps तुव. 3 PS A मणहरु. 44 उपरंभए बिय- सिर. 5 P 8 लंकेसहो पासु. 6 R S सुरसंतासहो.7 PS डाहेण. 13. 1 Ps मुहु जोइड पहुहे ( पहुहे) विहीसणहो. 24 पभणई महिसुव बि.37 क.4°विसम.5 °मडु. [१२] १ भटानां रेखा. ।१३] १ (P's reading) रावणेन. २ विद्युत्. ३ अत्र प्रस्तावे एतद् वचनं न वक्तुं घटते.