पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३५४

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$ ते वयणे रावणु ०९,२-1000-10] सत्तरहमो संधि वेढिउ एकु अणन्तेंहि रावणि तो वि ण गणइ सुहड-चूडामणि ॥२ रोकड वलइ धाइ अभिट्टा रिउ पण्णास-सहि दलवदृइ ॥३ सन्दण सन्दणेण संचूरइ गयवर गयवरेण मुसुमूरइ ॥४ तुरउ तुरङ्गमेण विणिवायइ णरवर गरवर-घाएं घायइ ॥५ जाम वियम्भइ सबायामें ताव सु-सारहि सम्मइ-णामें ॥६ पभणइ 'रावण किं णिञ्चिन्तउ मल्लवन्त-णन्दणु अत्यन्तउ ॥७ अण्णु वि रावणि लइउ अखत्तें वेढिउ सुरवर चलेंण समत्तें ॥८ दुजउ जइ वि महाहवें सक्का एकु अणेय जिणेंवि किंस कई॥९ ॥ धत्ता ॥ जण-जूरावणु चडिउ महारहें खग्ग-करु । 10 लक्खिज्जइ 'देवेंहिं बहु-अवलेवेहि णाई कियन्तु जगन्तयरु ॥ १० [१०] दूरत्येण 'णिसियरिन्देण सुरवरिन्दो । सीहेणं' विरुद्धेणं 'जोइओ गइन्दो ॥ १ 'सारहि वाहि वाहि रहु तेत्तहें आयवन्तु आपण्डुरु जेत्तहें ॥२ जेत्तहें अइरावणु गलगज्जइ जेत्तहें भीसण दुन्दुहि वजइ ॥ ३ जेत्तहें सुरवइ सुर-परियरियउ जेत्तहें वज-दण्डु करें धरियउ' ॥४ तं णिसुणेवि 'सम्मइ उच्छाहिउ पूरिउ सङ्गु महारहु वाहिउ ॥ ५ कलयलु दिण्णइँ रण-तूर हसियइँ सणि-जम-मुहई व कूरइँ॥६ समरु पुड्डु वलइ मि अभिट्टइँ । रण-रसियइँ सण्णाह-विसट्टइँ ॥ ७ पवर-तुरङ्गम पवर-तुरङ्गहुँ भिडिय मयङ्ग मत्त-मायङ्गहुँ ॥ ८ रह रहवरहुँ परोप्परु धाइय पायालहुँ पायाल पराइय ॥९ ॥ घत्ता॥ मेल्लिय-हुकार. दिण्ण-पहार सिर-कर-णास णमन्ताई। भिडियई अ-णिविण्णइँ वेणि मि सेण्णइँ मिहुणइँ जेम अणुरत्ताइँ ॥ १० ॥ 18 किउ 4 A आवहइ. 5 Pणरवरेण संघायह. 6P मल्लवंतु. 7 P°चलण. 8 P संमत्ते,.. सम्मो. 9 PS गाइ, A नाइ. 10 P जगंतु corrected to जगंत, 8 जगंतु, A जगत. 10. 1 तेण णिसियरिंदेण. 2 P SA सीहेण. 3 P 8 विरुदेण. 4 A जोइल जं. 51 भावंडुरु. 6 5 समरुङ, A समरुग्धहु. 7 In all the cases Ps have 'T and Amt. 8 P माइंबहु, मायंदहु. 9Aणामु. 10 जिम, A जिहं. [९] १ इन्द्रजति. २ सिरिमाली मतः. ३ इन्द्रयतिः. ४ इन्द्रपक्षजनैः. ५ गः. [१०] १ मत्री.